वैसे तो कला का हर माध्यम यकीन दिलाने की कला ही है, फिर चाहे वह संगीत, डांस, चित्रकला, सिनेमा या नाटक ही क्यों न हो, विश्वास दिलाने की कला को नाटक ही कहा जाता है. इस भौतिक विश्व की बात […]
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वैसे तो कला का हर माध्यम यकीन दिलाने की कला ही है, फिर चाहे वह संगीत, डांस, चित्रकला, सिनेमा या नाटक ही क्यों न हो, विश्वास दिलाने की कला को नाटक ही कहा जाता है. इस भौतिक विश्व की बात […]
मेरे एक दोस्त के भाई का विवाह था। यह बात सन् पचास−साठ के आसपास की है। यह कोई बहुत ज्यादा समय तो नहीं हुआ है, पर हमारी रीति रिवाजों पर तब कुछ ज्यादा ही सामंतवादी प्रभाव थे। वैसे अभी भी […]
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