एक ऐसा दफ्तर जो रात में बन जाता है डांस क्लब और बार….
Posted On November 22, 2024
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2 प्राइवेट कम्पनियाँ अपने कर्मचारियों की सुविधाएं बढाने के साथ साथ उन्हें एन्टरटेन करने के ज्यादा से ज्यादा मौके उपलब्ध करा रही हैं . कंपनियों का ये चलन अब भारत मे भी देखने को मिल रहा है . खासकर स्टार्टसअप अपने कर्मचारियों का खासा ध्यान रख रहे हैं , दिल्ली के हौज़खास मे सोशल के नाम से एक रेस्त्रोरेंट और डांसक्लब मे भीड़ उमड़ती है . यहाँ रात के 1 बजे तक डांस पार्टी होती है लेकिन कुछ घंटो के बाद सब कुछ साफ़ हो जाता है.
यह जगह सुबह होते ही एक ऑफिस की शक्ल ले लेती है . जहाँ शराब पीने के लिए किसी को नौकरी से हटाया नही जाता .सोशल मे हर कोई एक दूसरे से डेस्क शेयर करता है . इनमे फोटोग्राफर्स ,पत्रकार , सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर्स सभी शामिल होते हैं . ये एक दूसरे से आइडियाज शेयर करते हैं . एक दूसरे को नौकरी पर रखतें हैं और बिजनेस बढाने के लिए एक दूसरे की मदद करते हैं .
यहाँ हर व्यक्ति या तो फ्रीलांसर है या किसी छोटे से स्टार्सअप मे काम करता है , चूँकि भारत टेकबेस्ड स्टार्सअप के लिए दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है. इसलिए यहाँ वर्क स्पेस मे भी नई परम्परा कायम हो रही है, जहाँ परम्परागत और विभिन्न स्तर के कर्मचारियों के आधार पर ऑफिस नही बनते बल्कि ये अब बार की तरह दिखते हैं .
फ्रीलांस जर्नलिस्ट 29 साल के दिनसा सचान कहते हैं ‘’ आज के युवा ऑफिसों मे अपने बॉसेस के आगे झुकना नही चाहते , उन्हें अब ज्यादा सार्थक काम चाहिए इसलिए मुझे लगता है कि जहाँ साथ काम करने के अवसर हैं वो मेरे जैसे लोगों के लिए घुलने मिलने की सबसे शानदार जगहें हैं .’’
देश मे तीन साल पहले को-वर्किंग ऑफिसों का चलन शुरू हुआ . आज दिल्ली मे ही कम से कम 1 दर्जन ऐसे दफ्तर हैं जिनमे सोशल अकेला है, जो रेस्ट्रोरेन्ट के तौर पर भी काम करता है . इसी तरह मुंबई , बेंगुलुरु , और हैदराबाद मे भी कई दफ्तर हैं . देश के ज्यादातर स्टार्सअप इन्ही शहरों में हैं .
2015 के आखिर मे देश मे 4,200 नई तकनीकी कंपनिया थी , जिनमे ज्यादातर फोन एप्स और वेबसाईट का कारोबार करती थी . नेशनल एसोशियेशन ऑफ़ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेस कंपनी [ NASS COM ] के मुताबिक भारत अब अमेरिका और इंग्लॅण्ड के बाद तीसरी सबसे बड़ी स्टार्सअप इंडस्ट्री है .
सोशल के मालिक रियाज़ अमलानी ने बताया कि उन्हें नई दिल्ली की मुख्य जगहों पर सस्ते मे ऑफिस मुहैया कराने की मांग दिखी, तभी उन्होंने अपने रेस्ट्रोरेन्ट को ऑफिस मे बदलने का आईडिया आया . अब देश भर मे उनके 14 सोशल आउटलेट्स हैं . ये सभी को-वर्किंग स्पेस की तरह काम करते हैं, उन्होंने कहा कि ऑफिस अब कैफे की तरह होने लगे हैं और ऐसे ऑफिसों की तादाद बढती ही जा रही है . गूगल ,याहू ,फेसबुक और ट्विटर के ऑफिस ऐसे ही हैं .
युवाओं ने ज्यादातर स्टार्सअप की स्थापना की है, जो बड़े शहरों की बड़ी बड़ी बिल्डिगों मे ऑफिस खोलने का खर्चा नही उठा सकते . वहीँ नये चलन की सांझे दफ्तरों की मेंबरशिप प्रतिमाह मात्र केवल 6000 रूपये के आस पास होती है. इतने कम खर्च पर उन्हें नेटवर्किंग , इवेंट्स , इन्वेस्टर्स कांफ्रेंस और यहाँ तक की पार्टी करने तक की सुविधा मिल जाती है . सोशल के सदस्यों को लॉकर्स और फ्री इंटरनेट की सुविधा भी मिल रही है .