आखिर क्यों होता है मक्का मे पत्थर मारने का रिवाज…
Posted On November 21, 2024
0
911 Views
7 सऊदी अरब में मुस्लिम तीर्थ स्थल मक्का के पास स्थित रमीजमारात में शैतान को पत्थर मारने की रस्म के साथ ही हज पूरा माना जाता है .ये हज यात्रा का सबसे चुनौती पूर्ण और खतरनाक पड़ाव माना जाता है.
हालाकि शैतान को पत्थर मारने की यह रस्म तीन दिन की होती है, लेकिन ईद उल जुहा के पर्व पर इस रस्म की शुरुआत होने के कारण सभी तीर्थ यात्री इस मौके पर शैतान को पत्थर मारने की रस्म पूरी करने की हसरत रखते हैं . हज पर गए तीसरे दिन अपने बेस केम्प से निकल कर रमीजमारात जाते हैं ,जहाँ तीन बड़े खम्बे हैं यह खम्बे दरअसल शैतान का प्रतीक हैं . जिनपर कंकर फेंक कर लानत भेजी जाती है और इस रस्म के साथ हज पूरा माना जाता है .
ऐसा मानना है कि, एक बार अल्लाह ने हज़रत इब्राहीम से कुर्बानी में उनकी पसंदीदा चीज मांगी ,हज़रत इब्राहीम की एक औलाद थी जिसका नाम ईस्माइल था. ये औलाद उनके काफी बुढ़ापे में पैदा हुई थी .और हज़रत इब्राहीम उसे प्यार भी बहुत करते थे, लेकिन अल्लाह का हुक्म मान कर वह अपने जिगर के टुकड़े की क़ुरबानी देने को तैयार हो गए , जब वह अपने बेटे की क़ुरबानी देने के लिए जा रहे थे तो रास्ते में शैतान मिला और उनसे कहा कि वह इस उम्र में क्यों अपने बेटे की क़ुरबानी दे रहे हैं और क़ुरबानी के बाद उनकी देखभाल कौन करेगा ?