जानिये कैसा दिखता है भारत का स्विट्जरलैंड ?
Posted On January 18, 2025
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1 गंगटोक एक ऐसा शहर है जहाँ की पर्वत श्रृंखलाये आपको आवाज़ देती प्रतीत होती हैं . यहाँ आकर आपको ऐसा लगेगा कि आप भी इसी प्रकृति का एक हिस्सा हो . यहाँ के बौद्ध मठ मे आकर आप स्वंय से साक्षात्कार कर सकेंगे .सिक्किम की राजधानी गंगटोक भारत मे पूर्व के प्रमुख पहाड़ी पर्यटन स्थलों मे से एक है . फूलों और पक्षियों की सर्वाधिक किस्मे सिक्किम मे ही पाई जाती हैं . ऑर्किड की विश्व भर मे पाई जाने वाली लगभग 5 हज़ार प्रजातियों मे से अकेले सिक्किम मे 650 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं .
सिक्किम के मूल निवासी लेपचा और भूटिया हैं , लेकिन यहाँ बड़ी तादाद मे नेपाली भी रहतें हैं. ज्यादातर सिक्किम वासी बौद्ध और हिन्दू धर्म को मानते हैं . सिक्किम उन कुछेक राज्यों मे से एक है जहाँ अभी तक रेल मार्ग नही पहुंचा है . सिक्किम की राजधानी गंगटोक की ख़ूबसूरती का अंदाज़ा इसी बात से लग सकता है कि कुछ इतिहासकारों ने इसे संग्रालय मे रखने लायक शहर बताया है . यहाँ तीस्ता नदी की लहरें और कंचन जंघा की भव्य ऊंचाई एक अनोखी अनुभूति प्रदान करती है .
गंगटोक से 8 किलोमीटर दूर स्थित ताशी व्यू पॉइंट से कंचन जंघा और सिनोलाबू पर्वत शिखरों का मनोहारी रूप दिखाई देता है .बर्फ से ढंकी इन चोटियों का धूप मे धीरे – धीरे रंग बदलना भी एक अद्भुत समां बाँध देता है . सिक्किम के पूर्व राजाओं का राज महल और महल के परिसर मे बने बौद्ध मंदिर की ख़ूबसूरती देखते ही बनती है .
गंगटोक से 3 किलोमीटर दूर ऑर्किड सेंचुरी मे सैंकड़ो किस्मे सरक्षित हैं . फूलों की सुन्दरता का आनंद लेना हो तो बसंत ऋतू मे आना ज्यादा बेहतर होगा . वैसे गंगटोक मे पर्यटन सीजन अप्रैल से मई या दिसंबर से जनवरी सबसे अच्छा माना जाता है .तिब्बती भाषा , संस्कृति , बौद्ध धर्म ,शोधार्थियों के लिए ‘’ रिसर्च इस्टीटयूट ऑफ़ तिब्ब्तोलोजी ‘’ एक अद्वितीय स्थान है . यहाँ की थन्का पेंटिंग भी बहुत प्रसिद्ध है .पालजोर स्टेडियम के पास स्थित एक्वेरियम मे सिक्किम मे पाई जाने वाली मछलियों की खास किस्मे भी सैलानी देख सकते हैं .
गंगटोक की पहाड़ियों मे स्थित 3 किलोमीटर दूर सिनोल्लू पर्यटक आवास है, जिसपर बौद्ध मठ नामग्याल विचारधारा की स्पष्ट छाप है . इसे 1910 मे दोबारा बनाया गया . फेब्रोंग वन्यजीव अभ्यारण गंगटोक से 25 किलोमीटर की दूरी पर है .यहाँ रोडोड्रेनन , ऑक किम्बू , फर्न , बांस आदि का घना जंगल पाया जाता है . गंगटोक से 45 किलोमीटर की दूरी पर और 12120 फीट की ऊंचाई पर चौन्गु लेक है . सर्दियों के मौसम मे यह पूरी तरह से जम जाती है .यहाँ पर लोग याक की सवारी का आनंद भी उठाते हैं . गंगटोक से चांगू लेक जाने के लिए जीप और टैक्सीयां उपलब्ध हैं .
चांगू लेक से आगे बढे तो भारत चीन सीमा पर नाथूला पास तक पहुंचा जा सकता है . यह दर्रा अब पर्यटकों के लिए खोला जा चुका है और इसी रस्ते भारत चीनी व्यपारियों के आने जाने के कारण गहमा गहमी बढ़ गई है .