इस व्यक्ति से सीखे एकता के गुण….
Posted On November 25, 2024
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0 यह तो सबको मालूम है कि भारत एक ऐसा देश है, जहाँ सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है और कोई भी त्यौहार हो सभी धर्म के लोग मिलजुल कर मनाते है . कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें ये सौहार्द रास नही आता और वो अपनी तरफ से फूट डालने का काम करते रहते हैं पर उन्हें सफलता नही मिलती . जैसा कि सभी जानते है हिन्दुओं के सबसे बड़े तीर्थस्थल ‘’ अमरनाथ की गुफा ‘’ की खोज एक मुस्लिम ने ही की थी और आज भी गुफा मे चढ़ावे का एक हिस्सा उनके परिवार को अभी भी जाता है और उस परिवार को सम्मान भी दिया जाता है .
हिन्दुओं की आस्था के प्रतीक के रूप मे सारी दुनिया भगवान् बद्रीनाथ को पूजती है . भगवान् बद्रीनाथ मंदिर से साम्प्रदायिक सौहार्द का एक नायाब उदाहरण जुड़ा हुआ है . हिन्दुओं के चारधाम मे शामिल मुख्य धाम बद्रीनाथ के मंदिर मे प्रत्येक सुबह गाई जाने वाली आरती को एक मुस्लिम व्यक्ति ने 151 वर्ष पहले लिखा था . तब से यही आरती गा कर भगवान् की पूजा की जाती है .
भगवान् बद्रीनाथ के लिए लिखी गई आरती संस्कृत भाषा मे है और इस आरती के बोल हैं ‘’ पवन मंद सुगंध शीतल हेम मंदिर शोभितम , निकट गंगा बहति निर्मल श्री बद्रीनाथ विश्म्भरम.’’ इस आरती को चमोली जिले के नंदप्रयाग के मात्र 18 साल के पोस्ट मास्टर ने सन 1865 मे लिखा था. पोस्टमास्टर का नाम फखरूद्दीन था . सबसे रोचक बात ये है कि इस आरती को जब भगवान् के समक्ष रोज गाया जाने लगा तो उन्होंने अपना नाम फखरुद्दीन से बदल कर बदरुद्दीन रख लिया . बाद मे बदरुद्दीन – बद्री केदार नाथ मंदिर समिति के सदस्य भी रहे . उनका निधन 1951 मे 104 साल की लम्बी आयु के बाद हुआ . बद्रीनाथ महात्म्य नाम की पुस्तक मे भी इस बात का जिक्र है .