देश की सुरक्षा में सेंध….
देश की स्कोर्पियन पनडुब्बी की जंगी क्षमता से जुड़े दस्तावेज लीक होने का दावा किया जा रहा है. अब सरकार इस बात से चिंतित है कि, इससे देश की सुरक्षा पर कोई असर तो नही पड़ेगा. लीक का फायदा चीन और पकिस्तान को हो सकता है. यही दो पडोसी देश हैं जो इस समय भारत के गले की फांस बने हुए हैं. काँग्रेस ने एक बयान जारी कर कहा है कि, ये लीक राष्ट्र की सुरक्षा से गंभीर समझौता है. उसने सुप्रीम कोर्ट के जज से रक्षा मंत्रालय के ऑडिट की मांग की है.
सबसे पहले इस बात की खबर आस्ट्रेलियाई अखबार “दि आस्ट्रेलियन” मे आई . इसमे 22,400 पन्नों की लीक मे भारत की 6 स्कोर्पियन पनडुब्बियों की गोपनीय क्षमताओं का जिक्र किया गया है . उधर सरकार ने कहा है कि इस जानकारी की जांच नौसेना कर रही है और ऐसा लगता है कि इस लीक का सोर्स भारत में ना होकर विदेश मे है. रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने कहा है कि यह हैकिंग का मामला हो सकता है. यह लीक 100 प्रतिशत ना हो क्योंकि इसका अंतिम काम भारत में होना है. कुछ दिनों मे तस्वीर साफ हो जायेगी.
ज्ञात हो कि स्कोर्पियन प्रोजेक्ट की कुल लागत 23,562 करोड़ है और इससे नौसेना के बेड़े को अगले कुछ दशकों तक मजबूती मिलने की आस है. पानी के अन्दर पनडुब्बियों की मौजूदगी का पता उनकी आवाज़ से ही चल पाता है. लीक में इस बात का खुलासा हुआ है कि स्कोर्पियन पनडुब्बियों से कितनी आवाज़ निकलती है और ये अलग अलग स्पीड पर किस तरह की आवाजें निकालती है .
मुंबई मे बन रही स्कोर्पियन पनडुब्बी को फ्रेंच कंपनी DCNS ने भारतीय नौसेना के लिए डिजाइन किया है. आस्ट्रेलियाई अखबार में बताया गया है कि भारत के लिए स्कोर्पियन का डेटा 2011 में फ़्रांस में तैयार किया गया था. शक है कि इसी साल इस डेटा को फ़्रांस के पूर्व नेवी अफसर ने हटा दिया था. जो तब DCNS का ठेकेदार भी था . माना जाता है की डेटा दक्षिण कोरियाई कंपनी से होते हुए आस्ट्रेलिया पहुँच गया. भारत ने DCNS से रिपोर्ट मांगी है. कंपनी ने कहा है कि फ़्रांस के अधिकारी इसकी जांच करेंगे.