यू.पी.मे सांठ–गांठ जोरों पर.जानिये क्या ?
यू. पी. मे चुनाव को देखते हुए हर पार्टी अपने पूरे दम ख़म के साथ सक्रिय हो गई है . दिल्ली और बिहार मे करारी हार के बाद असम प्रदेश मे मिली करामाती जीत से खुश भाजपा की पूरी कोशिश है कि इस बार यू.पी. मे केवल कमल ही खिले , इसलिए वो हर दांव खेलने के लिए तैयार है .
हाल ही मे इलाहबाद मे संम्पन हुई कार्यकारिणी की बैठक इस बात का ताज़ा सबूत है , निसंदेह भाजपा की पुरजोर कोशिशें विरोधियों को परेशान कर रही हैं , जिसमे सबसे ज्यादा पसीना सत्ता पर आसीन सपा को आ रहा है, क्योंकि आंतरिक सूत्र बता रहे है कि , उसके कुछ पुराने और बेहद सगे बाहुबली साथी भाजपा के साथ जा सकते हैं .
जी हां , यहाँ बात राजा भैया की हो रही है , बाहुबली नेता राजा भैया, जिसकी याद सपा को सिर्फ चुनाव के वक़्त ही आती है , पिछले काफी समय से पार्टी मे उपेक्षित चल रहे राजा भैया को आजकल भाजपा के दिग्गज नेता राजनाथ सिंह के करीब देखा जा रहा है , वैसे भी दोनों के रिश्ते हमेशा से काफी क्लोज रहे हैं , हलाकि राजनीति मे दोनों एक दुसरे से सरोकार नही रखते लेकिन सवर्ण और ठाकुरों की बात पर एक हो जाते हैं .
राजा भैया की पूर्वांचल मे काफी पूछ है , उन्हें ठाकुरों का समर्थन मिला हुआ है .खबर है कि, जियाउल हक़ केस के बाद सपा मे उपेक्षित राजा भैया भाजपा से जुड़ सकतें हैं और पूर्वांचल के माफिया से नेता बने ब्रिजेश सिंह के साथ मिलकर क्षत्रिय वोटों को भाजपा के पक्ष मे कर सकतें है . उनपर भरोसा राजनाथ सिंह को है , और राजनाथ सिंह जो कह दें उसे ना तो पी.एम्. मोदी और ना ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मना कर सकते हैं .
ऐसे मे सपा मे खलबली मचना तो लाजिमी है . सूत्रों से मिली जानकारी कहती है कि, हाल ही मे सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और सी. एम्. अखिलेश यादव राजा भैया से मिलने उनके सरकारी आवास पर गये थे जो इस बात का सबूत है कि पार्टी मे राजा भैया [ रघुराज प्रताप सिंह ] को लेकर गहमा गहमी बनी हुई है .
सच और झूठ तो आने वाला वक़्त ही बताएगा लेकिन इसमे कोई शक नही है कि इस समय यू.पी. मे सांठ –गांठ की राजनीति से हलचल मची हुई है .