“वन स्टॉप सेंटर” महिलाओं के लिए अच्छी खबर
इसे भारतीय समाज की विडंबना ही कहेंगे कि भारतीय समाज में जैसे-जैसे स्वतंत्रता और आधुनिकता का विस्तार हुआ है, वैसे-वैसे महिलाओं के प्रति अपराध का ग्राफ काफी तेजी से बढ़ा है. प्राचीन और आधुनिक समाज की दृष्टि में भी महिलाएं मात्र औरत है और उनके लिए थोपी व गढ़ी-बुनी गयी तथाकथित नैतिकता की परिधि से बाहर आना मना है. इसी घटिया मानसिकता का परिणाम है कि महिलाओं के प्रति छेड़छाड़, बलात्कार, यातनाएं, अनैतिक व्यापार, दहेज मृत्यु तथा यौन उत्पीड़न जैसे अपराधों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है वो भी तब जब भारत देश में महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों को रोकने के लिए अनेक कानून पहले से ही बने हुए है. देश में महिलाओ के विरुद्ध घरेलू हिंसा, अपहरण और अगवा, लैंगिक दुव्र्यवहार, कन्या भ्रुण हत्या और ऑनर किलिंग की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं.
लेकिन लगता है की भारत सरकार अब इस सिचुएशन को बदलना चाहती है. इसी मुहीम के तहत केंद्र सरकार ने हिंसा से पीड़ित महिलाओं को चिकित्सा, कानूनी और मानसिक सहायता मुहैया कराने के लिए देशभर में 660 ‘वन स्टाप सेंटर’ खोलने का निर्णय लिया है. महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने 29 जुलाई 2016 को यह घोषणा की और बताया की महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस योजना को सबसे पहली बार एक अप्रैल 2015 को लागू की गयी और सफलता मिलने पर अप्रैल 2017 तक देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसे और 150 ओएससी स्थापित करने निर्णय लिया है. इस योजना की फंडिंग के लिए धन निर्भया कोष से लिया गया है. इस योजना के तहत महिलाओं से संबंधित मुद्दों को जल्द ही सुलझाने के लिए देश में फास्ट ट्रैक महिला अदालतें गठित की जाएंगी।