भारतवर्ष में कुपोषण की समस्या
शरीर के लिए आवश्यक संतुलित आहार का लंबे समय तक न मिलना ही कुपोषण है. कुपोषण के कारण बच्चों और महिलाओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वो आसानी से कई बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं.बच्चों और महिलाओं के अधिकाँश रोगों की जड़ में कुपोषण ही होता है .स्त्रियों में मुख्यत रक्ताल्पता [ एनीमिया ] और बच्चों में सूखा रोग ,रतौंधी ,या दृष्टिहीनता भी हो जाती है .इसके अतिरिक्त ऐसा बहुत से रोग हैं जिनकी वज़ह अपर्याप्त या असंतुलित भोजन ही है .
शरीर की कुछ अवस्थाएं ऐसी हो जाती हैं जिन्हें देखकर ये अंदाजा स्वत ही लग जाता है कि शरीर कुपोषण की अवस्था से गुजर रहा है
.1. शरीर का विकास रूक जाना .
2. मांस पेशियों का ढीला पड़ना या सिकुड़ जाना .3
. झुरिन्याँयुक्त पीले रंग की त्वचा .
4. थकान का अनुभव होना .
5. मन मे उत्साह का आभाव होना .
6. चिडचिडापन होना .
7. बाल रूखे और चमकहीन होना
8. चेहरा कांतिहीन ,आँखें धंसी हुई ,आँखों के आस –पास काले घेरों का होना .
9. वज़न कम होना और कमजोरी महसूस करना .
10. नींद और पाचन क्रिया का गड़बड़ होना
11. हाथ पैर पतले और पेट का बड़ा होना या शरीर में सूजन का होना .
ऐसे लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए और उसके कहे अनुसार दवाई और पोषक आहार का सेवन करना .विकसित राष्ट्रों की अपेक्षा विकासशील देशों में कुपोषण की समस्या अधिक विकराल है, इसका प्रमुख कारण गरीबी है ,धन के आभाव में गरीब लोग प्रयाप्त पोष्टिक चीजें जैसे दूध फल और ताज़ी सब्जिंयाँ घी आदि नही खरीद पाते .कुछ लोगों को तो पेट भर अनाज भी नसीब नही होता .गरीबी के साथ अज्ञानता और निरक्षता भी एक कारण है .बहुत से लोगों को संतुलित आहार की भी जानकारी नही होती ,इसके कारण न तो वे स्वयं और न ही पाने बच्चों के भोजन में आवश्यक चीजों का समावेश कर पातें हैं .
भारतवर्ष में हर तीन में से एक महिला रक्तअल्पता से पीड़ित है ,हमारे समाज में स्त्रियाँ अपने खाने पीने पर ज्यादा धयान नही देतीं जबकि उनको स्वस्थ रहने के लिए पुरुषों से अच्छे आहार की जरुरत होती है ,क्योंकि स्त्रियों पर प्रजनन के अलावा बच्चों को स्तनपान कराना और ज्यादा परिश्रम भी करना पड़ता है .शरीर की कुछ क्रियाएं शिथिल और सुषुप्त अवस्था में भी होती रहती हैं जैसे ह्रदय की गति ,भोजन का चया पचय प्रक्रिया ,इन कामों के लिए भी कैलोरी की आवश्यकता हॉट है .
पुरे विश्व में सबसे ज्यादा संख्या में कमजोर और अविकसित बच्चे भारतवर्ष में हैं ,भारत में इनकी संख्या 4.8 करोड़ में है .इसकी वज़ह साफ़ सफाई ,पोष्टिक भोजन और स्वच्छ पानी का आभाव है .’’ वॉटरएड ‘’ की रिपोर्ट में बताया गया है की 1.03 करोड अविकसित बच्चों के साथ नाइजीरिया दुसरे स्थान पर है .
कुपोषण की समस्या बहुत गहरी समस्या है, क्योंकि बच्चें ही देश का भविष्य कहलाते हैं जब वे ही स्वस्थ नही होंगे तो देश का विकास कैसे होगा ?