शरीर के इस अंग की वजह से आते हैं हमें सपने !
नींद आने के बाद सपने आना मस्तिष्क में होने वाली क्रियाओं का परिणाम है. कुछ लोगों को सपने दिखाई नहीं देते, वहीँ कुछ लोगों को बहुत सपने आते हैं. अक्सर ऐसा होता है कि हम जो सपने देखते हैं वह हमें याद नहीं रहते हैं. एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार एक व्यक्ति को हर रोज़ 2-3 बार सपने आ सकते हैं. जहाँ अच्छे सपने हमें खुश और उत्साहित कर देते हैं, वहीँ बुरे सपनों से हम विचलित हो जाते हैं क्यूंकि हमें ऐसा लगता है कि यह किसी अनहोनी का अंदेशा है. कुछ लोगों का यह मानना होता है कि हम जो सपने देखते हैं उनका संबंध हमारे भविष्य में होने वाली गतिविधियों से होता है.
कभी कभी हमारे दिमाग में यह ख्याल आता है कि आखिर हमें सपने क्यों आते हैं ?और क्या सच में इनका हमारे जीवन से कोई रिश्ता होता है? आज हम यही बात जानेंगे कि आखिर क्यों
क्यूँ दिखाई देते हैं सपने?
सपनोँ का आना स्वाभाविक है, स्वप्न आने के बारे में कुछ लोगों का यह मानना होता है कि जो इच्छाएँ या हमारे मन की दबी भावनाएँ जिसे हम अपने असल ज़िन्दगी में पूरे नही कर पाते वो अक्सर सपनों में पूरी हो जाती हैं. सपने हमारे मानसिक तनाव को भी कम करते हैं.
एक रिसर्च में यह पाया गया कि व्यक्ति सोने से पहले जिस चीज के बारे में ज्यादा सोचता है या सोते समय उस व्यक्ति की जो मानसिक स्थिति होती हैं, उसे उसी से संबंधित सपने दिखाई देते हैं. जैसे कि यदि व्यक्ति कहीं घुमने जाने की सोच रहा है तो उसे उसी से जुड़े या किसी स्थान आदि के विषय में सपने दिखाई देंगे.
अगर वास्तव में हम देखे तो सपनों की दुनिया हमारे खुद के दिमाग की उपज होती है. हम पूरे दिन में जो भी कार्य करते हैं, जो बातें करते हैं, वह सब हमारे दिमाग में जमा होती रहती हैं. और जब हम सो जाते हैं, तब हमारा दिमाग उन बातों की याद करता है. जिसकी वजह से हमें सपने आते हैं. ऐसा कहा जाता है कि व्यक्ति अपने जीवन का तिहाई हिस्सा सोने में बिता देता है और लगभग 25 फीसदी समय सपने देखने में व्यतीत करता है.
विशेषज्ञों के मुताबिक, स्वास्थ्य समस्या आपके सपने देखने और उसे याद रखने की क्षमता को प्रभावित करती है. अगर कोई सपने याद कर लेता है या फिर किसी को सपने याद ही नहीं आते, तो यह उस व्यक्ति के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है. लोगों को अधिकतकर सपने तभी याद आते हैं जब वह किसी चिंता या फिर उदासी में होते हैं. वहीँ एक अध्ययन में यह भी पता चला कि किशोर लड़कियां सपने को याद रखने के मामले में किशोर लड़कों से बेहतर होती हैं.