रोटी, कपडा, मकान और मनोरंजन….
भौतिकवाद के समय में मनोरंजन के असीमित साधन उपलब्ध है. मनोरंजन मानव के व्यस्त जीवन की सबसे बड़ी और जरुरी आवश्यकता है . आजकल तो मनोरंजन के बहुत से साधन उपलब्ध हैं. मनोरंजन के साधनों में सबसे लोकप्रिय साधन सिनेमा है, ऐसे तो मनोरंजन के अनगिनत साधन हैं जैसे वॉटरपार्क ; वॉटरपार्क में पानी के अन्दर खेले जाने वाले खेल और पानी के अन्दर ही चलने वाले झूले , नकली हलकी तेज लहरों का आना – जाना, नकली बारिश के साथ संगीत , और छोटी – छोटी ट्यूब के साथ पानी मे तैरने का अपना अलग ही आनंद होता है. बच्चों को वॉटर पार्क जाना बहुत पसंद है, वॉटर पार्क जाकर आप सारा दिन बिता सकते हैं, वॉटर पार्क के कम्पपाउंड के अन्दर ही खाने पीने की दुकाने होती हैं, जहाँ अलग अलग तरह का खाना मिल जाता है .
बडे बड़े झूले वाले पार्क भी आजकल लोग बहुत पसंद करते है , आजकल इसकी इतनी ज्यादा डिमांड है की, लगभग हर शहर में ये तेजी से खुलते जा रहे हैं. सबसे पहले दिल्ली में अप्पूघर था जो पुरे भारतवर्ष में मशहूर था, ऐसी ही मुंबई का डिसनीलैंड. जिसका अपना अलग ही नाम था. लेकिन अब तो नोएडा, गुडगाँव, गाजियाबाद, लखनऊ, मेरठ, फैजाबाद, जयपुर आदि छोटे बड़े शहरों में इनकी संख्यां तेजी से बढ़ती जा रही है .इन पार्कों में बहुत बड़े बड़े झूले लगे होते हैं,छोटी छोटी कारें भी होती हैं जो बैटरी से चलती हैं , इसमे बच्चे या बड़े दोनों ही इन झूलों का आनन्द लेते हैं. इसके भी कम्पपाउंड में खाने पीने की दुकानें होती है .यहाँ पर भी सारा दिन आराम से गुजार सकते है .
सबसे सुलभ और लोकप्रिय मनोरंजन का साधन सिनेमा है, मनोरंजन के साधनों में सिनेमा सबसे पुराना और लोकप्रिय साधन है . सिनेमा अपने घर के आस पास भी देख सकते हैं . आजकल हर तरह की फिल्मे बन रही हैं, बच्चों के लिए जो भी फिल्म बनती है वो सबसे ज्यादा हिट हो जाती है क्योंकि बच्चे अपनी परीक्षाओं से निबट कर फिल्म देखना चाहते हैं, ऐसे में कोई अच्छी फिल्म लगती है तो वो सुपरहिट हो जाती है जैसे अभी हाल ही में आई फिल्म जंगलबुक ,जिसने सफलता के नये कीर्तिमान बनाये.आज का युग में शारीरिक परिश्रम कम और मानसिक परिश्रम अधिक हो गया हैं. ऐसे में जीवन की आपा धापी से हट कर हर कोई कुछ क्षण रिलेक्स के बीताना चाहता है, और सबसे आसान और सुलभ उसे सिनेमा ही लगता है, परन्तु सिनेमा के टिकट आज इतने महगें है की ये सस्ता मनोरंजन का साधन भी आज गरीबों का नही रहा , कुछ महंगी बनती फ़िल्में और कुछ मनोरंजक टैक्स ने सिनेमा को भी आम आदमी से दूर कर दिया . पर व्यस्त और थकी दिनचर्या से उबरने के लिए हर मनुष्य को मनोरंजन की जरुरत तो पड़ती है और वो अपने स्तर पर अपने मनोरंजन के साधन ढूँढ ही लेता है.