रामगोपाल वर्मा की फ़िल्म जीएसटी पर क्यों है विवाद ?
बॉलीवुड के जाने माने फिल्म निर्देशक राम गोपाल वर्मा अपने आने वाले प्रोजेक्ट को लेकर सुर्खियों में बने रहते है. पहले थग्स एड थाईज़ और जीएसटी (गॉड, सेक्स एंड ट्रूथ) को लेकर बवाल में फस गए है. उनका पहला प्रोजेक्ट जो एक ड्रामा सीरीज़ थी, जिसको ऐप पर रिलीज होना था जो विवाद और एडल्ट कंटेट के चलते देश में किसी भी प्लेटफॉर्म पर रिलीज नही हो पाई थी. जबकि गॉड सेक्स एंड ट्रूथ एक फिल्म है. जिसमें पॉर्न स्टार मिया मालकोवा को कास्ट किया गया है. बीबीसी हिंदी के मुताबिक सिगमन फ्रॉयड के इस विचार से राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘गॉड, सेक्स एंड ट्रूथ’ की शुरुआत होती है. फ़िल्म के पहले ही सीन में एक महिला बिना कपड़ों के नज़र आती है.
‘रंगीला’, ‘सरकार’ और ‘सत्या’ जैसी फ़िल्मों से दर्शकों के बीच जगह बनाने वाले निर्देशक राम गोपाल वर्मा इस बार अमरीका की पॉर्न स्टार मिया मालकोवा के साथ फिल्म लेकर आए हैं. मिया के साथ बनाई गई यह फ़िल्म यू-ट्यूब पर रिलीज़ हो चुकी है और तेज़ी से हिट्स बटोर रही है. इस फ़िल्म का शॉर्टनेम जीएसटी है, जिसकी पूरे देश में पिछले कुछ समय से चर्चा हो रही है. ऐसे में इस नाम पर फ़िल्म बनाने पर चर्चा न होने पर हैरानी होती, लेकिन फिल्म का प्रचार का अच्छा तरीका है विवाद पैदा करना, जो आजकल चलन में है.
पूरे देश में इस फिल्म पर भले ही विवाद हो लेकिन आंध्र प्रदेश में लोगों की रामू की जीएसटी पर आपत्तियां हैं. आपको बता दें कि 26 जनवरी को यह फ़िल्म यू-ट्यूब पर रिलीज हुई. तेलुगू न्यूज चैनलों ने इस पर काफी खबरें दिखाईं. इसी बीच, आंध्र प्रदेश में महिला कार्यकर्ताओं और रामगोपाल वर्मा के बीच बहस छिड़ गई. ऑल इंडिया डेमोक्रॅटिक वुमेन्स एसोसिएशन के नेतृत्व में महिला संगठनों ने विशाखापट्टनम में रामू का पुतला फूंका.
साथ ही विजयवाड़ा में बीजेपी के विंग ने फ़िल्म पर बैन लगाने की मांग की, इस फ़िल्म के अलावा भी देश में न्यूड कंटेंट को लेकर पहले भी कई बार विवाद हो चुका है. यह भी सच है कि इंटरनेट पर किसी फ़िल्म में नग्नता का प्रदर्शन पहली या आखिरी बार नहीं हुआ है. रामगोपाल वर्मा अपनी फ़िल्म को दार्शनिक ग्रंथ बताते हैं. मीडिया से बात करते हुए कहते हैं, ”खुदा ने सेक्स को जैसा बनाया है, भगवान के लिए सेक्स का जो अर्थ है. वैसा ही अर्थ फ़िल्म में है.” अगर आप इस फ़िल्म के ट्रेलर पर ही गौर करें तो इसमें कई दार्शनिकों के विचारों को दिखाया गया है.
रामू ने एक इंटरव्यू में कहा था, ”एक सुंदर शरीर को ध्यान में रखकर कई फिल्में बनी हैं. लेकिन एक सुंदर मन को लेकर कोई फ़िल्म नहीं बनी थी. हमने ये फ़िल्म सुंदर मन को लेकर बनाई है.” जिसके बाद लोगों ने सबसे ज़्यादा विरोध जिस बयान पर जताया है, वो है ”सालों से महिलाओं की लैंगिक इच्छाओं का जो दमन किया गया. एक तरह से ये उनका अभिव्यक्तीकरण है.”
मिया भी फ़िल्म में कुछ जगह इसी बात को विस्तार देते हुई नज़र आती हैं. महिला संगठनों का विरोध इसी बात पर है. हैदराबाद की समाजिक कार्यकर्ता देवी कहती हैं, ”एक महिला की लैंगिक इच्छाओं का हवाला देकर रामू इस फिल्म का प्रचार कर रहे हैं. नारी सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं. इस बात पर हमारा विरोध है. रामू का जो कैमरा है, वो एक महिला को भोग वस्तु की तरह पेश कर रहे हैं. आपका कैमरा औरत के शरीर को हवस की नज़र से देख रहा है. अगर ऐसा नहीं होता तो उसके मुंह में जो संवाद डाले हैं, वो नारी सशक्तीकरण के हैं, लेकिन आप जो दिखा रहे हैं, वो उसकी योनि है.”
साथ ही रामू पर महिला कार्यकर्ताओं के साथ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप है. एक 55 साल की कार्यकर्ता को रामू ने टीवी पर कहा, ‘आप इतनी सुंदर हैं कि अगली फ़िल्म में मिया की जगह आपको लूंगा.’ सिर्फ इतना ही नही, देवी को लेकर रामू ने भी एक ट्वीट किया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि क्या आप कपड़े पहनकर सेक्स करती हैं?
देवी कहती हैं, ”रामू नारी सशक्तिकरण की नहीं, पॉर्न को बढ़ावा देने की बात कर रहे हैं. महिलाओं का लैंगिकता का अविष्कार करके इसका प्रचार कर रहे हैं. हमारा विरोध पॉर्न फिल्म बनाने को लेकर नहीं हैं. लेकिन झूठ बोलकर किसी ऐसी फिल्म को नारी सशक्तिकरण बताना गलत है. ये फ़िल्म महिलाओं का उद्धार नहीं करती है. ये भारतीय महिलाएं जानती हैं. वो इतनी भी पागल नहीं हैं कि इसे महिला सशक्तिकरण समझें.”
आंध्र प्रदेश में AIDWA की राज्य सचिव रमा देवी ने कहा, ”इस फिल्म को मीडिया बेवजह तूल दे रही है. रामू को स्टूडियो में बुलाकर बहस करने की होड़ लगी है. जो महिलाओं के हक और शोषण की जो बारीक लाइन है, वो मीडिया नहीं समझ पाई है. मुझे लगता है कि मीडिया में महिलाओं के शोषण को बढ़ावा नहीं देना चाहिए.”
इस फिल्म की जितनी चर्चा तेलुगू मीडिया में हुई, उतनी देश में कहीं नहीं हुई है. फिल्म पर चर्चा के नाम पर घंटों इसके ट्रेलर दिखाए गए, जिसमें जमकर अंग प्रदर्शन था. जिसमें रामू ने टीवी बहसों में कई विवादित बयान भी दिए. जिसमें तेलगू मीडिया पर भी सवाल उठते है. बीबीसी तेलुगू के संपादक जीएस राममोहन ने कहा, ”तेलुगू मीडिया को सेंसेशनल चीजें पसंद हैं. उनको कुछ भी करके लोगों को आकर्षित करना अच्छा लगता है. दूसरी तरफ रामू को भी कम पैसों में प्रचार करना होता है. इसलिए वो भी मीडिया के पास जाते हैं और विवाद पैदा करते हैं. तेलुगू मीडिया और रामू का नाता एक दूसरे के पूरक हैं.”
अगर हम कहे कि समीक्षकों की तरफ से इस फिल्म को लेकर अच्छी प्रतिक्रिया आ रही है, तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. क्रिटिक्स की तरफ से फिल्म को अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है. आपको बता दें कि 19 मिनट लंबी यह फ़िल्म किसी थियेटर में रिलीज नहीं होगी यह शॉर्ट फिल्म है जो सोशल मीडिया पर रिलीज हो चुकी है जहां पर इसके ट्रेलर और फिल्म को जमकर हिट मिल रहे हैं.