यहाँ जानवर देते है बाढ़ की जानकारी …
Posted On August 12, 2016
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शोधकर्ताओं का कहना है कि बाढ़ से सम्बंधित कोई भी चेतावनी प्रणाली नही होने के कारण असम के लोग पशुओं के व्यवहार को देख कर बाढ़ का अंदाजा लगा लेते है , और अपनी सुरक्षा का धयान रखते हैं .वैज्ञानिकों के अनुसार जब टिड्डे और कीट पतंगे घरों से निकल कर बेतरतीब तरीके से उड़ कर घरों मे आने लगते हैं तो इससे ग्रामीण मौसम के अचानक बदलने और ज्यादातर समय भारी बारिश और बाढ़ के तौर पर लगाते हैं .
वहीँ जब चीटिंयां अंडे और खाने के सामान के साथ घर बदल कर ऊंची जगहों पर जाने लगती हैं तो माना जाता है कि निश्चित तौर पर बाढ़ आएगी , वहीँ दूसरी और जब लोमड़ी ऊंचे स्थान पर जाकर जोर जोर से आवाजें निकलती है तो इसका मतलब यहाँ के ग्रामीण सूखे से और जब नीचे खड़े होकर ऐसा करती हैं तो इसका मतलब भयंकर बाढ़ आने से लगाते हैं .

कबूतरों के चीखने , दो पक्षियों के रोने से भी लगाते है अंदाजा , लुधियाना स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी के वैज्ञानिक अरमान यू मुजादादी की रिपोर्ट के अनुसार कबूतरों के चीखने की आवाज़ और दो विशेष प्रजातियों के पक्षियों के रोने की आवाज़ भी चेतावनी का संकेत माना जाता है . भारी बारिश और बाढ़ से पहले मेंढक लगातार आवाजें निकालते रहते हैं . इस तरह की जानकारियाँ होने से अक्सर आने वाली बाढ़ से मछुआरों, असम के धीमा जी जिले के लोगों की जान माल का बचाव हो पाता है . शताब्दियों से लोग इस तरह की तकनीक का उपयोग प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए कर रहें हैं . शोधार्थियों के समूहों ने सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित तीन जिलों के मछुआरों और स्थानीय लोगों से बातचीत की .


