यहाँ गोरे बच्चों का पैदा होना है गुनाह.
Posted On November 24, 2024
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1 आज के विकसित समाज मे अभी भी बहुत सी जनजातियां है, जो घने जंगलों में रहती हैं. जिनका दुनिया के अन्य हिस्सों से कोई लेना देना नही है . इनका अपना समाज और अपने बनाए निया हैं .इनको अपने भरण पोषण के लिए जंगल और जंगली जानवरों पर ही निर्भर रहना पड़ता है . ऐसी ही एक जनजाति है, जिसको जारवा के नाम से जाना जाता है . यहाँ गोरे बच्चों को अपनी रंगत के कारण मौत मिलती है . यह जगह और कहीं नही भारत में ही स्थित है .
दरअसल केंद्र शासित प्रदेश अंडमान मे परम्परा के नाम पर जारवा जनजाति के लोग अपने ही बच्चों को मार रहें हैं . यहाँ पर अगर जरा सा भी साफ़ रंग का बच्चा पैदा होता है तो, माँ को डर लगता है कि उसके समुदाय के लोग ही उसके बच्चे को मार डालेंगे . गोरे बच्चों को यहाँ हीन दृष्टि से देखा जाता है . जारवा जन जाति की ये करतूत स्थानीय पुलिस के लिए भी मुसीबत बनती जा रही है .
अफ्रीका मूल के 50 हज़ार साल पुराने जारवा समुदाय के लोगों का रंग बहुत ही काला होता है . इस समुदाय में परम्परा के अनुसार यदि बच्चे की माँ विधवा हो जाए , या उनका पिता किसी दुसरे समुदाय से हो तो बच्चों को मार दिया जाता है . दरअसल ऐसे मे बच्चे का रंग थोड़ा भी साफ़ हो तो उसके पिता उसे किसी दूसरे समुदाय की संतान [ शक के आधार पर ] समझ कर उसकी हत्या कर देता है . इस कृत्य के लिए इस समुदाय में किसी सजा का प्रावधान नही है .