मृत नवजात के नाम पर अंधविश्वास का खेल…….
जिस देश ने दुनिया के लिए सभ्यता और शिक्षा के क्षेत्र मे लोगों का मार्गदर्शन किया उसी देश मे अंधविश्वास ने आज हर सीमा को लांघ रखा है . बिहार के सीमावर्ती इलाके के अररिया मे अंधविश्वास का कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिल रहा है .
एक अविकसित नवजात की मौत के बाद भी लोग किस कदर उसका मजाक बनाया जा रहा है . इस मृत बच्चे को लोग देवता का रूप बता कर पूजा अर्चना मे लग गये हैं . स्थानीय ग्रामीण अभी भी यह मान रहे हैं कि यह बच्चा जीवित है , कोई मृत बच्चे को अगरबत्ती दिखा रहा है तो कोई रुपयों का चढावा चढ़ा रहा है .
अररिया जिले के मुसहर नियागाँव मे पिछले कुछ हफ्ते पहले देर रात एक अद्भुत बच्चे ने जन्म लिया , दरअसल ये कोई अद्भुत बच्चा नही बल्कि एक अविकसित नवजात है , जिसे इसके घर परिवार और गाँव वाले भगवान् का अवतार मान रहें हैं , इस अद्भुत बच्चे की खबर फैलते ही आस पास के गाँव के लोगों का भी आने का सिलसिला जारी है ,कोई 10 का नोट तो कोई 500 का नोट चढ़ा रहा है . भारी संख्या मे लोग यहाँ आ रहे हैं.
गाँव की महिलाओं और बुजुर्ग लोगों की बात तो छोडिये , गाँव के पड़े लिखे युवा भी इस अंधविश्वास की जकड से बाहर नही निकल पायें हैं . स्थानीय ग्रामीण चिकित्सक ने बताया कि बच्चे की मौत तो उसके पैदा होने के कुछ घंटे बाद ही हो गई थी लेकिन गाँव के लोग इसे आस्था से जोड़ कर देख रहें हैं .वहीँ रानीगंज रेफरल अस्पताल के डॉ. विजय कुमार ने बताया कि मेडिकल साइंस मे इसे कानजेनाईटल इनोमेली कहते हैं , जिसमे बच्चे का पूर्ण विकास नही हो पाता ,अंधविश्वास के नाम पर चल रहे इस ड्रामे को समाप्त करने के बजाय लोग अब भजन कीर्तन की तैयारी मे लग गये हैं .
समाज के सबसे पिछले पायदान पर बसने वाले इस महा दलित समुदाय के नाम पर राजनीति तो खूब होती है लेकिन इन्हें शिक्षित करने का दावा करने वाली सरकार अररिया की इस बस्ती और इसमे फैली अशिक्षा के लिए कुछ नही कर पा रही है .यहाँ गरीबी भी इस कदर है कि इसी बहाने लोग पैसा बनाने मे लग जाते हैं . बच्चे की माँ को पैसे एकत्रित करते देखा जा सकता है . लोग फल और अनाज भी ला रहें हैं . गरीबी और अंधविश्वास दोनों ही एक दुसरे के पूरक हैं .