ब्लू व्हेल गेम है या कुछ और.. क्या सचमुच इसके कारण ही बच्चें जान दे रहे हैं?
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आपने पोकेमोन गो का नाम तो सुना ही होगा यह गेम जितना अपनी फीचर के कारण लोकप्रिय नहीं हुआ उतना इसके कारण होने वाले हादसों के. इस गेम को खेलने वाला इस खेल में इतना डूब जाता था कि उसे मालूम ही नहीं चलता था कि उसके आस-पास क्या हो रहा है और वो दुर्घटना का शिकार हो जाता था. इन दिनों ब्लू व्हेल चर्चा का विषय बना हुआ है. जानकारों का कहना है कि इस खेल को खेलने वाला इस खेल में इतना डूब जाता है कि इस खेल में दिए जाने वाले सभी चैलेज पूरा करने के पीछे पड़ जाता है और अंत में अपनी जान तक दे देता है.
यह एक चैलेंज गेम है इसमें 50 दिनों में 50 चैलेंज दिए जाते हैं. रोज चैलेंज पूरा होने के बाद अपने हाथ पर निशान बनाना पड़ता है जो 50 दिन में पूरा होकर व्हेल का आकार बन जाता है, इसके बाद इस गेम में विजेता बनने के लिए अंतिम टास्क में प्लेयर को जान देनी पड़ती है. इस गेम से जुड़ा पहला मामला 2015 में रूस से आया था. रिकार्ड्स के मुताबिक इस गेम के कारण अब तक दुनिया भर में करीब 250 बच्चों की जानें जा चुकी है. जिसमें 130 बच्चें केवल रूस के ही हैं.
भारत में इस गेम से जुड़ा पहला मामला इसी साल मुंबई से आया था. जब मुंबई में अंधेरी वेस्ट के रहने वाले एक बच्चे मनप्रीत ने सातवीं मंजिल से कूदकर जान दे दी थी. इस गेम को खेलते हुए मनप्रीत इतना डिप्रेशन में चला गया था कि उसने छत से कूद कर अपनी जान दे दी थी. इसके बाद एक-एक कर पूरे देश से कई मामले सामने आ चुके हैं. इससे जुड़ा ताजा मामला 5 नवंबर को जोधपुर से आया है जब इस गेम को खेल रही 17 वर्षीय एक लड़की ने पहाड़ की छोटी से झील में कूद गई. हालाँकि पुलीस और गोताखोरों की मदद से उसे बचा लिया गया. रिपोर्ट्स कहते हैं कि भारत के कुछ राज्यों में इस गेम को बैन तो कर दिया गया है लेकिन अभी भी इस पर पूरी तरह से रोक नहीं लगा है.
अपने आप में यह सवाल बहुत बड़ा है कि क्या सचमुच एक गेम इंसान की जान ले सकता है. अगर मनोवैज्ञानिक तौर पर इसका सवाल पुछा जाए तो इसका जवाब होगा हाँ. लेकिन इंसान अगर चाहे तो किसी भी चीज को खुद पर हावी होने से रोक सकता है. इसमें कोई दो मत नहीं है कि स्मार्ट फोन और इंटरनेट हमारी जिंदगी का अहम् हिस्सा बन चूका है लेकिन हमें इसके सही और गलत इस्तेमाल को समझना होगा. अभिभावकों को अपने बच्चों पर नज़र रखने की जरुरत है. साथ ही उनके द्वारा खेले जा रहे गेम्स के बारे में भी पूरी जानकारी रखें. अगर सरकार डिजिटल इंडिया का सपना देखती है तो उसे इस तरह की मुसीबतों के लिए भी तैयार रहना चाहिए. साथ ही ऐसे गेम्स पर तत्काल ही प्रतिबंध लगा देना चाहिए.