बाबा रामदेव : संत या व्यापारी ?
Posted On October 18, 2016
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बाबा रामदेव ने कुछ ही वर्षों मे ही बहुत तरक्की कर ली है, यदि फर्श से अर्श पर कहें तो अतिश्योक्ति ना होगी . बाबा रामदेव ने योग के प्रचारक के रूप मे पहचान बनाई थी, उसके बाद आयुर्वेद का सहारा लेकर छोटे छोटे नुस्खे बताना आरम्भ किया, फिर आयुर्वेद दवाओं को बनाना शुरू किया. कुछ सालों में ही वो इतने लोकप्रिय हो गये कि, उन्हें भारत के अतिरिक्त विदेशों से भी धनराशि उनके सपने ’’ पतंजलि ‘’ को बनाने के लिए मिलने लगी .
बाबा रामदेव ने सक्रिय राजनीति में भी भाग लिया और कांग्रेस सरकार से आहत भाजपा का समर्थन किया और मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर प्रसन्नता भी प्रकट की . ऐसा नही है कि वो अपने उत्पादन का झूठा प्रचार कर रहें हैं , यक़ीनन उनके उत्पाद अच्छे हैं और भारतीयों ने इसका लाभ भी उठाया है . लेकिन पिछले साल के मुकाबले उनके उत्पादन के बिक्री मूल्य में 2 से 4 गुना की बृद्धि हुई है . आपको ज्ञात हो कि, वर्ल्ड हेल्थ ओर्गनाइजेशन [ WHO ] केवल एलोपैथिक दवाएं और चाइनीज दवाओं को मान्यता देती है.
WHO के अनुसार यदि 25000000 से ज्यादा लोग अगर प्रतिदिन आयुर्वेद के विषय में जानकारी लेते हैं अथवा इसका सेवन करते हैं तो WHO इसको [ आयुर्वेद ] मान्यता देगी . WHO के इस नियम को जानने के बाद बाबा रामदेव ने सम्पूर्ण भारत के सभी पतंजलि सेंटरों को कम्पयूटर के जरिये सेंटरलाइज करने जा रहें हैं, ताकि उनके पास एक डाटा मेंटेन हो सके कि , प्रतिदिन कितने लोग पतंजलि से जुड़ते हैं और इसका लाभ प्राप्त करतें हैं . इस तरह बाबा रामदेव और WHO के पास डाटा प्रोवाइड हो सकेगा और WHO आयुर्वेद को मान्यता प्रदान कर सकेगा .