बच्चों को मिठाई कम खानी चाहिए, जानिये क्यों ?
मिठाई तो सबको पसंद होती है चाहे बच्चें हो बड़े, पर ज्यादा मीठा खाना सबकी सेहत के लिए ठीक नही होता, पुराने समय में सिर्फ त्यौहार या विवाह आदि के अवसर पर ही मिठाई खाने को मिलती थी, परन्तु आज कल ये बहुत ही सुलभता से मिल जाती है, और अब तो भिन्न भिन्न प्रकार की चोकलेते भी मिलने लगी है, वैसे तो हम बच्चों को मना करते हैं की चोकलेट खाना अच्छी बात नही है, इसको खाने से दांतों में कीड़े लग जाते हैं, लेकिन जैसे ही बच्चा कोई जिद करता है या किसी बात पर रोने लगता है, तो फट से उसे चोकलेट पकड़ा देते हैं.
पहले बच्चे घर से बाहर बाहर जाकर खेलते थे, जिससे उनकी ऊर्जा [ कैलोरी ] जलती थी, अब बच्चे घर में ही टी.वी. विडीओगेम खेलते रहते हैं या पढतें रहते हैं, क्योंकि आजकल पढाई का भी बहुत दबाव है बच्चों पर, इससे उनकी ऊर्जा बहुत कम खर्च होती है, और मीठा वसा में परिवर्तित होने लगता है, जिससे मोटापे के साथ साथ मधुमेह जैसी बीमारी का डर भी बना रहता है, घी तेल या मीठे में कैलोरी बहुत ज्यादा होती है, और इसको पूरी तरह जलाना [ कंजुय्म ] करना आसान नही होता, इसलिए ये सलाह दी जाती है की, बच्चों को मीठा कम खाना चाहिए.
अगर आपके बच्चे मीठा खाना पसंद करते हैं, तो आपकी कोशिश होनी चाहिए की उन्हें तला हुआ जैसे जलेबी, बालूशाही, हलवा [ जिसको बनाने में घी का प्रयोग हुआ हो ] आदि कम दे. और बच्चों को अधिक श्रम के लिए प्रेरित करें. रात को सोते समय बच्चों में टूथब्रश करने की आदत डालनी चाहिए. इससे दांतों में कीड़ा लगने की संम्भावना समाप्त हो जाती है और मुंह और दांत सम्बन्धी रोग होने की भी संम्भावना कम रहती है. जहाँ तक हो सके घर में चोकलेट न रखें, अगर होगी तो बच्चें खायेंगे भी, अगर बच्चों को दूध दे रहीं है, तो उसमे भी चीनी की मात्रा कम ही रखें और कोई एनर्जी पाउडर के साथ दे रहीं हैं जैसे- बोर्नविटा, प्रोटिनेक्स, होर्लिक आदि के साथ, तो इसमे अलग से चीनी न डालें क्योंकि इसमे चीनी पहले से डाली होती है.
सबसे बड़ी बात जब हम खुद कम मीठा खायेंगे तभी बच्चों को भी मना करना अच्छा लगेगा, क्योंकि ज्यादा मीठा खाना किसी के लिए भी फायदेमंद नही है.