दिल्ली अब नहीं रही पीछे ….
लड़के और लडकियों के सेक्स रेश्यो मे काफी फर्क है , भारत मे लड़का होने पर खूब खुशियाँ मनाई जाती हैं और वहीँ लड़की होने पर सबके चेहरे लटक जातें हैं .साल 2014 मे प्रति हज़ार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 896 थी जो 2016 मे बढ़ कर प्रति हज़ार लड़कों मे 898 हो गई है .पिछले साल बर्थ रजिस्ट्रेशन बढ़ा है , वहीँ रोजाना होने वाली जन्मदर मे भी इजाफा देखने को मिला है , हलाकि जनसंख्या के हिसाब से जन्मदर मे कमी देखने को मिली है .इन आकड़ों के अनुसार दिल्ली की 43.97 प्रतिशत महिलायें 20 से 24 साल की उम्र ही माँ बन रहीं हैं .
डिप्टी सी. एम्. मनीष सिसोदिया ने साल 2015 की इस रिपोर्ट को रिलीज किया है इस रिपोर्ट मे 2015 मे बर्थ रजिस्ट्रेशन की संख्या 3,74.012 हो गया है ,यह 2014 मे 3,73,693 था . औसतन रोज होने वाली जन्म की संख्या भी बढ़ी है .साल 2014 मे रोजाना जन्म्संख्या 1024 थी ,2015 मे इसकी एक संख्या मे इजाफा हुआ है ,रजिस्टर्ड होने वाले जन्मदर 1.97 लाख [ 52.7 ] पुरुष और 1.77 लाख [ 47.3 ]महिलायें हैं ,हलाकि प्रति हज़ार आबादी की तुलना मे जन्मदर 20.9 से घट कर 20.5 प्रतिशत हो गया है .
ज्यादा बड़ी उम्र मे माँ बनने से कई बीमारियों का खतरा रहता है, लेकिन इस मामले मे दिल्ली के आंकड़े अलग हैं .नये आंकड़ों के अनुसार 20 से 24 साल की उम्र मे 43.97 प्रतिशत महिलायें माँ बनी हैं ,जबकि 25 से 29 साल की उम्र की 38 प्रतिशत महिलायें माँ बनी हैं , 30 साल से ज्यादा उम्र की केवल 15.3 प्रतिशत महिलायें ही माँ बनी हैं . समय के साथ दिल्ली मे बच्चों का जन्म अस्पतालों मे ज्यादा हो रहा है , इससे बच्चों की मृत्युदर मे कमी आई है .
आंकड़ों के अनुसार रोजाना 1025 बच्चे दिल्ली मे पैदा होते हैं ,रोजाना 341 लोगों की मौत भी हो जाती है . जिसमे से 62.7 प्रतिशत लोगों की मौत अस्पताल मे हुई .
दिल्ली में लडकियों की संख्या मे थोड़ा ही फर्क देखने को मिला है लेकिन ये अच्छी शुरुआत है . दिल्ली मे ये फर्क लोगों की सोच के कारण ही देखने को मिला है . लडकियाँ भी अच्छी शिक्षा प्राप्त कर रही है और ऊंचे ऊंचे पदों पर कार्य कर रही हैं . आजकल लड़के और लड़कियों मे ज्यादा अंतर देखने को नही मिलता . लोगों को अगर सिर्फ लड़की ही संतान रूप मे प्राप्त है तो वो उसी को अच्छी शिक्षा दिलाने का प्रयास कर रहें है .साथ ही साथ राज्य और केंद्र सरकार भी इस क्षेत्र मे निरंतर प्रयासरत है …..
दिल्ली मे सुधार दिखाई दे रहा है लेकिन दिल्ली से सटे राजस्थान और हरयाणा मे अभी कोई बदलाव नही आया है और स्थिति पहले की तरह बनी हुई है .वहां आज भी लड़की का पैदा होना अच्छा नही माना जाता . दिल्ली मे थोड़ा सा भी परिवर्तन शायद इन दो प्रेदेशो की सोच को बदलने मे कामयाब हो जाए .