डोपिंग की रेस में भारत भी पीछे नहीं….
दुनिया भर में खेल निष्पक्ष नहीं बचे हैं और लगभग सभी खेले में डोपिग हो रही हैं जो परीक्षण के दौरान पकड़ में नहीं रही है और खिलाडी ऐसे दवाओ का इस्तेमाल कर रहे है. यह समस्या इत्मी गंभीर है भारत सहित दुनिया के कई देशो के के खिलाड़ियों को डोपिंग के आरोप में खेल से निलंबित किया जा चूका है. अद्भुत नतीजे और रोमांचक मुकाबलों ने पूरी दुनिया में खेल को महामनोरंजन में बदल दिया है और बेशुमार पैसे और आलीशान रुतबा पाने की चाहते में कई खिलाडी प्रतिबंधित दवाओ के चक्कर में पड़ कर अपना करियर ख़राब कर लेते है.
सात बार टूअर डी फ्रांस जीतने वाले अमेरिकी साइकिल रेसर लांस आर्मस्ट्रांग ने हर बार उन्होंने डोपिंग की थी और उनका शानदार करियर पाबंदी वाली दवाइयों के बल पर बना था.. ऑस्ट्रेलिया की खुफिया विभाग ने एक रिपोर्ट में यह बताया था की खेलों में डोपिंग और मैच फिक्सिंग और मनी लाउंड्रिंग जैसी चीजें एक दूसरे से जुड़ी हैं और फुटबॉल, टेनिस, एथलेटिक्स, भारोत्तोलन, साइक्लिंग और बॉक्सिंग के खिलाडी बड़े पैमाने पर डोपिंग में शामिल है.
रियो ओलिंपिक से पहले भारत डोपिंग के मामलों से जूझ रहा था. पिछले कुछ वर्षो में भारत का डोपिंग रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है क्योकि साल 2014 में एंटी डोपिंग एजेन्सी WADA की एक रिपोर्ट के अनुसार रूस और इटली के बाद भारत में सबसे ज़्यादा डोपिंग के मामले सामने आए है और ये कंडीशन तब है जब 2009 में देश में जोपिंग को रोकने के लिए नाडा (नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी) की स्थापना की जा चुकी है और वह अपना काम बखूबी कर रही है।
2014-15 | डोपिंग के मामले |
रुस | 148
|
इटली | 123
|
भारत | 96 |
भारत के खिलाडी एथलेटिक्स, पावरलिफ़्टिंग और उसके बाद वेटलिफ़्टिंग में डोपिंग में पकड़े गए हैं। 2015 में डोपिंग सबसे ज्यादा मामले सामने आया और 21 वेटलिफ़्टर पॉजिटिव पाए गए।