जानिए योग के लाभ; करें दिनचर्या में शामिल
योग भारत देश की एक बहुत प्राचीन अध्यात्मिक प्रक्रिया हैं, जिसमे शरीर मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम होता है. योग भारत देश से बौद्ध धर्म के साथ चीन, जापान, तिब्बत, दक्षिण पूर्व एशिया और श्री लंका तक में फ़ैल गया .
योग की लोकप्रियता और उपयोगिता को देखते हुए 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्रमहासभा द्वारा सर्व्सम्मति से 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया. योग को शब्दों परिभाषित करना बहुत मुश्किल है, परन्तु अलग अलग लोगों ने अपनी तरह से योग को अपनाया है.
महात्मा गांधी ने योग को अनाशक्ति रूप में अपनाया तो वहीँ पतंजलि योगपीठ के बाबा रामदेव जी ने योग को कर्मयोग के रूप में अपनाया. गीता में श्री कृष्ण ने एक जगह कहा है ‘’योग ; कर्मेशु कौशलम; ‘’अर्थात योग से कर्मों में कुशलता आती है .
योग के आठ अंग माने जाते हैं ; यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्व्य्हार, धारणा, धयान और समाधि .
वर्तमान समय में अपनी व्यस्त जीवन शैली के कारण लोग संतोष पाने के लिए योग करते हैं, योग से न केवल व्यक्ति का तनाव दूर होता है, बल्कि मन और मष्तिष्क को भी शांति मिलती है, योग बहुत ही लाभकारी है, आत्मा को शुद्ध करता है, शरीर को स्वस्थ रखता है, मोटापे को दूर करता है .
आजकल जो व्यक्ति स्लिम और चुस्त दिखना चाहता है वो नियमित रूप से योग करता है. योग मोटापे, मधुमेह, उच्च रक्तचाप के साथ साथ जो व्यक्ति कमर दर्द, थकान आदि से पीड़ित हैं उनके लिए भी लाभकारी है…..
आजकल तो लगभग हर पार्क में सुबह सुबह फ्री अथवा बहुत ही कम फीस लेकर योग कराया जाता है, किसी भी छोटे बड़े पार्क में हर उम्र और वर्ग के लोग योग या योग से जुड़े हुए अन्य व्यायाम करते दिखाई दे जायेंगे. योग बहुत ही लाभकारी है योग से शरीर तो स्वस्थ रहता ही है उसके साथ योग मन – मष्तिष्क को तनाव से दूर रखता है. पार्कों में सुबह –सुबह योग करने से पेड़ों से उत्सर्जित ऑक्सीजन हमारे शरीर के अंदर गहरी सांस के द्वारा अंदर जाती है, और कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर आती हैं, जिन्हें पेड़ पौधे तुरंत ही अपने अन्दर ले लेते है. इस तरह स्वच्छ और ताज़ी हवा हमारे शरीर के अन्दर जाकर शरीर के अंदरूनी अंगों को भी लाभ पहुंचती है.
लोगों के अन्दर ये धारणा है की योग बहुत मुश्किल और जटिल प्रक्रिया है क्योंकि योग में जो आसन दिखाई देते हैं वो कठिन होते हैं और बहुत अभ्यास के बाद उनको सरलता से किया जाता है, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नही है आरम्भ में सरल आसनों को ही करना उचित रहता है जैसे प्राणायाम जिसमे गहरी सांस ले कर धीरे धीरे छोड़ी जाती है .सूर्य नमस्कार जिसमे शरीर को पूरा खींच कर धीरे –धीरे आराम की मुद्रा में लाया जाता है इसी तरह शवासन, मतस्य्आसन, व्रजासन आदि है .
एक कुशल प्रशिक्षक वही होता है जो धीरे – धीरे सरल से कठिन की तरफ ले जाता है . आज योग अपने फायदों के कारण ही पुरे विश्व में लोकप्रिय है,लोग ऐसा भी सोचते हैं की योग अपना कर वो स्वास्थ्य लाभ तो प्राप्त करते ही हैं साथ ही साथ ईश्वर के और निकट हो जाते हैं कुछ लोग तो योग को मोक्ष का अभिप्राय भी मान लेते हैं .
मीर्चा अलियादे कहते हैं ‘’योग सिर्फ एक शारीरिक व्यायाम ही नही है यह एक अध्यात्मिक तकनीक भी है.’’