जानिए कैसे बिताएं अपनी रिटायर्ड लाईफ
बाल्यावस्था से लेकर बुढ़ापे तक मनुष्य बहुत सी अवस्थाओं और स्थिति से गुजरता है उसे बहुत तरह के अलग अलग अनुभव प्राप्त होते है, अपने अनुभव से ही सीख कर अपने आने वाले शेष दिनों के खाका तैयार कर लेता है. भारतवर्ष में महज 50 वर्ष की आयु में मनुष्य स्वयं को रिटायर्ड मान लेता है, जबकि विदेशों में लोग इस आयु में जीवन का आनंद उठातें हैं , बहुत सी विषमताएं हैं यहाँ और यूरोप के जीवनयापन मे ,विदेशों में लोग अपनी हर जिम्मेदारी से मुक्त हो चुके होतें हैं और भारत में व्यक्ति बच्चों की शादी ब्याह पोते पोती में ही उलझा रहता है .
आजकल समाचार पत्रों में ये अक्सर पढने को मिल जाता है की, किसी बेटे ने अपनी माँ या बाप को घर से निकाल दिया या ओल्डएज होम में डाल दिया, इसके लिए दोनों बराबर के जिम्मेदार होते हैं .
रिटायर्ड होने से पहले ही हर इंसान को अपने लिए कुछ न कुछ बचा कर रखना चाहिए , सबकुछ अपने बच्चों के नाम करके उनपर आश्रित नही होना चाहिए , सुबह शाम पास के पार्कों में टहलना चाहिए इससे स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है, अपने हमउम्र लोगों से दोस्ती भी हो जाती है, थोड़ा बहुत आउटडोर खेल जैसे बेडमिन्टन, टेनिस आदि खेलना चाहिए , गरीबों की मदद [ जितना हो सकें ] करनी चाहिए, हो सकें तो सब रिटायर्ड लोग मिलकर ऐसी संस्था बनाएं जिसके द्वारा वो जरुरतमंदों की मदद कर सकें . सभी हमउम्र लोगों के हमेशा संपर्क में रहें , गरीब बच्चों को मिलकर शिक्षित बनाएं.
थोड़ा थोड़ा समय समाजसेवा के काम करें, इससे देश समाज को तो लाभ होगा, उनको भी ख़ुशी मिलेगी. रिटायर्ड महिलाओं को चाहिए वे धार्मिक गतिविधियों से जुड़े. अपने समय का सदुपयोग करने के लिए हफ्ते में एक या दो बार धार्मिक आयोजन करें , गरीब बच्चें जो पढ़ाई में कमजोर हैं उन्हें फ्री में टयूसन दें . यथासंभव हर किसी की मदद के लिए तैयार रहें . सबकुछ अपने लिए ही नही होता, कभी किसी के लिए जीकर देखें आपको अच्छा लगेगा, खुद को अकेला न समझें सब आपका ही है और सब आपके अपने हैं…………
बात सिर्फ समझ की है……..हो सकें तो एक कुत्ता भी जरुर पालें, क्योंकि कहतें हैं की एक पालतू जानवर पालने से रक्तचाप की समस्या नही होती और सुरक्षा की दृष्टि से भी ये उत्तम है, किसी पर आश्रित न रहें, अपना कार्य स्वयं करने की कोशिश करें. ये न सोचें की आप पचास या साठ साल के वृद्ध है ये सोचें की आप पचास या साठ साल के युवा हैं .
जिंदगी कभी ख़त्म नही होती और रोज कुछ न कुछ सिखाती है …..जिंदगी को जियें भरपूर जियें गुजारें नही …….