छतीसगढ़ का इलाका वैसे भी आदिवासी इलाकों मे से एक है . यहाँ घने जंगल और आदिवासी अभी भी पाए जाते हैं . गरीबी यहाँ की मुख्य समस्या मे से एक है , लोग जंगलों के सहारे ही अपनी गुजर बसर करने को मजबूर हैं .
ऐसे ही आदिवासी समुदाय से संबंध रखने वाले दो भाई बहन हैं , जिनका नाम सुरेन्द्र और राजेश्वरी है .इनका वन्य प्राणियों से गहरा नाता है , इन्हें अक्सर बंदरों के साथ खेलते देखा जा सकता है .दोनों एक बेहद गरीब परिवार के बच्चें हैं जिनका शिक्षा से दूर दूर तक कोई लेना देना नही है .
यह दोनों भाई बहन छतीसगढ़ के राजनंद गाँव के जंगलों मे घुमते रहते हैं व अपना ज्यादातर वक़्त जंगलों मे ही बिताते हैं .ये अक्सर बंदरों के साथ खेलते दिखाई देते हैं . ये जंगली जानवरों से भी भयभीत नही होते और उनको अपना दोस्त समझते हैं .इनका व्यवहार और चलने फिरने का तरीका भी अन्य सामान्य बच्चों से अलग है , ये जानवरों की तरह ही व्यवहार करते है उन्ही की तरह ही खाना खाते हैं . ज्यादातर ये शांत रहते है , अगर इन्हें कोई परेशान करता है तो ये उग्र हो जाते हैं .ये जंगल मे अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं .
इन दोनों के बारे मे सरकारी चीफ मेडिकल ऑफिसर का कहना है कि ,ये दोनों मानसिक विकारों से पीड़ित हैं और इनके दिमाग पूर्ण रूप से विकसित नही हो पाए हैं . उनकी माँ पांचो बाई को इन दोनों के खोने का डर हमेशा सताता रहता है और विशेष रूप से सुरेन्द्र जो जंगली जानवरों के बहुत करीब चला जाता है .दोनों भाई बहन की तुलना ‘’द जंगल बुक ‘’ के मोगली से की जाती है क्योंकि इन दोनों को जंगल में रहना बहुत पसंद है . उन्हें वापस बुलाने के लिए उनकी माँ बार बार आवाजें लगाती रहती है .उनकी माँ पांचो बाई एक सफाई कर्मचारी है , उसे प्रतिदिन 100 रूपये का पारिश्रमिक मिलता है .
A retired engineer, who likes reading and writing with a view to understand life, Aafreen has always admired humanity, for inventing the concepts of religion and marriages to bring happiness and peace to humanity. She likes reading about religions and to find common denominators.