गर्भावास्था एक ऐसी अवस्था होती है, जिसमे प्रत्येक महिला को अपने और अपने गर्भ मे पल रहे शिशु के लिए बहुत सावधानी की आवयश्कता होती है . गर्भावस्था की अवस्था माँ के लिए तप से सामान होती है , इस दौरान ज्यादा देर तक खाली पेट रहना और भारी काम करना स्वास्थ्य की दृष्टि से सही नही माना जाता. ऐसे मे यदि किसी कारण महिला को उपवास रखना पड जाए तो उसे अपने डॉ. से सलाह लेकर व्रत या उपवास रखना चाहिए .
यदि महिला को धार्मिक भावना की तसल्ली या पारिवारिक दबाव के कारण उपवास रखना पड़ जाए तो उसे अपनी गर्भावस्था का पूरा ध्यान रखना चाहिए. व्रत इस प्रकार से रखें कि, जिसमे फल जूस आदि ले सकें . निम्न सावधानी रखकर आप कोई भी व्रत रख सकती हैं .
1.तला हुआ भोजन न लें , इस प्रकार का भोजन गरिष्ठ होता है और स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होता है .
2.अपनी दवाइयों को लेते रहें , किसी भी व्रत या उपवास से दवाइयों का कोई सम्बन्ध नही होता .
3. पानी भी लगातार पीतें रहें ताकि विषैले पदार्थ शरीर से बाहर निकलते रहें .
4.नारियल का पानी लेना अच्छा होता है, क्योंकि इसमें हर प्रकार का खनिज लवण पाया जाता है और ये पूर्णतया प्राकृतिक होता है .
5. गर्भवती महिलाओं को चाय कॉफ़ी का सेवन भी खाली पेट कम से कम करना चाहिए .
6. थोड़े थोड़े अंतराल पर फल , जूस और ड्राई फ्रूट [ मेवे ] को भी अपने आहार मे शामिल करें .
जहाँ तक हो सके इस अवस्था मे व्रत या उपवास न रखेक्योंकि, जो भी गर्भवती महिला खाती है वही उसके शिशु का आहार होता है . इस अवस्था मे ब्लडप्रेशर हाई या लो हो सकता है . इस अवस्था में डॉ. भी महिला की कैलोरी मे लगभग 1000 से 1200 की बढ़ोतरी कर देते हैं, ताकि शिशु को पर्याप्त पोषण मिलता रहे .
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