मजबूरी ने बनाया महिला कों पुरुष ! जानिये कैसे…
ये एक कहानी नही है बल्कि एक ऐसी सच्चाई है, जिसके बारे में सोचते सब हैं लेकिन बात कोई नही करता …यही बात अगर फेसबुक पर होती तो लाखों कमेन्ट लाइक डिसलाइक मिल गए होते .
हरियाणा के एक छोटे से गाँव की लड़की भारत की राजधानी दिल्ली से महज़ 40 या 45 किलोमीटर दूर की रहने वाली .खुद उसके शब्दों में ‘’ मेरी उम्र आज 20 साल की है मै दिल्ली में नौकरी की तलाश में आई हूँ . हां मै लड़कों की तरह कपडे पहनती हूँ लड़कों की तरह भारी आवाज़ में बात करती हूँ. सुना है दिल्ली में हरियाणा के मुकाबले 2000 ज्यादा मिले है, मै रोजाना सुबह 4 बजे उठ कर 12 किलोमीटर पैदल चलकर नौकरी करने सोनीपत आती हूँ यहाँ मुझे 7000 मिले है . शाम को 7 बजे वापस जाती हूँ. मुझे 7000 से अपने बूढ़े माँ बाप और छोटे भाई की परवरिश करनी है भाई को पढ़ा लिखा कर कर बडा आदमी बनाना है . मै 12वीं तक पढ़ी हूँ . मै न चाहू कि कोई मुझे लड़की के रूप में पहचान जाये , मुझे आदमियों से डर लागे है , मुझे मोबइल फोन से भी डर लागे है , लड़के मुझे फोन करके परेशान करेंगें . ‘’
क्या यकीन करेंगें कि आज के समय में दिल्ली से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर ऐसी परिस्थितियों मे एक औरत अपने वजूद को छुपाकर जीने को मजबूर है , हरियाणा की सरकार हो या भारत की सरकार हो इनके लिए महिलाओं के विकास और सम्मान की बात सिर्फ कागजों और ऊँचें ऊँचें मंचों से दिए गए भाषणों में ही अच्छी लगती है . अभी हाल ही में एक राजनीतिक दल के नेता ने दुसरी राजनीतिक दल की महिला नेता को संसद में अपशब्द कहे ,पार्टी ने उन नेता को 6 वर्ष के लिए पार्टी से निष्काषित कर दिया , कल ही पुलिस ने उन नेता और उनके एक रिश्तेदार को गिरफ्तार कर लिया . यू. पी.में इस मामले को लेकर असंजस की स्थिति बनी हुई है.
समस्या ये नही है की किसने किसको अपशब्द कहे समस्या ये है कि, इस तरह की स्थिति कैसे आ जाती है कि, एक महिला को अपमानित करने में पुरुष को जरा सा भी संकोच नही होता, किसी भी महिला को अपमानित करना पुरुष अपना अधिकार समझाता है . हमारी सरकार और उससे जुड़े लोग इस बात को समझतें हैं, जो बुद्धिमान हैं वो खामोश रहतें हैं, और जो स्वयं को श्रेष्ठ समझतें हैं वो मुखर हो उठतें हैं, परन्तु विरोध कोई नही करता. खामोश रह कर या विरोध ना करके पुरुषवर्ग एक तरह से इस तरह की सोच रखने वाले तबकों को बढ़ावा ही देता है.
क्या इस सोच के साथ भारत तरक्की कर सकता है? क्या ऐसी समझ के साथ अमेरिका के साथ खड़ा हो सकता है ? कथनी और करनी में बहुत फर्क है .