क्या रघुराम राजन पर कोई दवाब था ………
भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी आर .बी. आई .गवर्नर ने स्वयं इस्तीफ़े की पेशकश की. किसी केन्द्रीय मंत्री के बयानों से आहत होकर रघुराम राजन ने इस्तीफ़े की घोषणा कर दी. रघुराम राजन के कार्यकाल मे भारतीय अर्थव्यस्था स्थिर रही. बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव देखने को नही मिला. जनता पर अनर्गल टैक्स का बोझ नही पड़ा. स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की चेयरमैन श्रीमती अरुंधती भट्टाचार्य को अगला आर.बी.आई.गवर्नर के पद के लिए विचार हो रहा था की, इधर सरकारी बैंकों का आपस में विलय की भी संम्भावना है, मात्र 6 सरकारी बैंक ही रह जायेंगे. अगर वो गवर्नर मनोनीत होती तो बैंकों के विलय के काम में विलम्ब होता, इसलिए अरविन्द पनगढ़िया के नाम पर विचार हो रहा है. बहुत अधिक संम्भावना है की भारतवर्ष के अगले आर .बी. आई. गवर्नर अर्जुन पनगढ़िया ही हो.
प्रधानमंत्री मोदी जी उस वक़्त विदेशी दौरे पर थे. ऐसी घटिया बयानबाजी के लिए प्रधानमंत्री ने रघुराम राजन से खेद व्यक्त किया और उन केन्द्रीय मंत्री को अप्रत्यक्ष रूप से फटकार भी लगाईं. साथ ही आगे के लिए चेतावनी भी दी की ऐसी बयानबाजी को हलके में नही लिया सा सकता. रघुराम राजन ने अपने बयान में पहले ही कह दिया था की वो किसी के भी दबाव में काम नही कर सकते और उनके लिए देश और देशवासियों के हित से बढ़ कर और कुछ भी महत्त्वपूर्ण नही है, शायद रघुराम राजन जी का ये स्पष्ट बोलना ही मंत्री जी को बुरा लगा, ऐसा नही है की हर कोई भ्रष्ट है. आज भी हर क्ष्रेत्र में बहुत से ऐसे लोग मिल जायेंगे जिनके लिए उनका काम और देश की सेवा ही सबकुछ है, वरना कितने ही ऐसे लोग हैं जो इसतरह के महत्वपूर्ण पद को छोड़ना नही चाहते.
अभी रघुराम राजन के कार्यकाल में लगभग दो महीने शेष हैं, रघुराम राजन का कार्यकाल सितम्बर में समाप्त हो रहा है . रघुराम राजन ने कहा है जब तक उनका समय शेष है वो अपना काम पूरी निष्ठा के साथ करते रहेंगे. और कार्यकाल समाप्त होने के बाद शिकागो की यूनिवर्सिटी में शिक्षक का कार्य करेंगे जो उनका सपना था. प्रधानमंत्री मोदी जी ने उनके कार्य की सराहना की और निष्ठापूर्वक काम करने के लिए धन्यवाद दिया .