चीन ने मौसम सुधार तकनीको के जरिये प्रतिवर्ष 60 अरब घन मीटर की अतिरिक्त वर्षा करवाने का लक्ष्य रखा है जिसे वह 2020 तक हासिल करना चाहता है . चीन के वित्तमंत्रालय ने इसके लिए 3 करोड़ डॉलर की राशि निर्धारित की है , वैसे चीनी वैज्ञानिक पिछले कुछ समय से मौसम मे परिवर्तन की कोशिश कर रहे है और इसमे उन्हें शुरूआती सफलता भी मिली है . मौसम परिवर्तन मे चीन का मुख्य जोर कृत्रिम वर्षा पर है . चीनी वैज्ञानिक सूखे की स्थिति मे कृत्रिम वर्षा करवाने , ओलावृष्टि को कम करने तथा अंतराष्ट्रीय आयोजनों के दौरान आसमान को साफ़ रखने के लिए मौसम परिवर्तन टेक्नोलोजी का इस्तेमाल कर रहे है . चीन ने 2008 के ओलम्पिक खेलों मे आसमान से धुंध और धुएं के बादल हटाने के लिए मौसम सुधार तकनीक का सफल प्रदर्शन किया था , लेकिन मौसम बदलाव की ये कोशिशे कभी कभी बुरी तरह विफल भी हुई है .
भारत मे कृत्रिम वर्षा के क्षेत्र मे कोई उल्लेखनीय सफलता नही मिली है . हलाकि तमिलनाडु ,कर्नाटक ,और महाराष्ट्र ने समय समय पर कृत्रिम वर्षा करवाने की कोशिशे जरुर की है .चीनी वैज्ञानिक क्लाउड सीडिंग के जरिये कृत्रिम वर्षा करवाने के लिए बादलों की तरफ सिल्वर ओयोडाईड के कानों से भरे रोकेट या गोले दागते है . इसके लिए हवाई जहाज़ों और जमीन पर स्थित जेनरेटरों का इस्तेमाल किया जाता है . सिल्वर ओयोडाइड से बर्फ निर्माण मे मदद मिलती है . यह रसायन पानी की ठंडी बूंदों को बादल मे जमा देता है , ये बर्फीली बूंदे आसपास मौजूद पानी की बूंदों से क्रिया करके बर्फ के क्रिस्टल बनती हैं . ये बर्फीले क्रिस्टल वर्षा की बूंदे बन कर जमीन पर गिरते हैं .
मौसम मे फेरबदल करने की टेक्नोलोजी दुसरे देश भी विकसित कर रहे है . अमेरिका मे नेवाडा के इंजीनियरों ने क्लाउड सीडिंग के लिए एक ऐसा सिस्टम तैयार किया है जिससे वर्षा की मात्रा 15 प्रतिशत बढाई जा सकती है . वहीँ के डेजर्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अन्य संस्थानों के साथ मिलकर एक ड्रोन विमान विकसित किया है जिसमे क्लाउड सीडिंग के उपकरण फिट किये गए है . साल के आरम्भ मे इसका सफल परीक्षण भी किया गया था .
कुछ वैज्ञानिको का कहना है कि मौसम मे परिवर्तन की तकनीक का दुरपयोग भी किया जा सकता है. गत फरवरी मे एक सम्मलेन मे सी आई ए के शीर्ष अधिकारियों ने आशंका जाहिर की थी कि शत्रु देश दुनिया के मौसम मे फेरबदल की कोशिश कर रहे है . न्यू जर्सी स्थित रटगर्स यूनिवर्सिटी के एक प्रोफ़ेसर ने पिछले साल बताया कि सी आई ए के लिए काम करने वाले एक सलाहकार ने उनसे फोन करके पूछा था कि क्या कोई देश दुनिया की जलवायु को नियंत्रित कर रहा है और क्या ऐसे देश की पहचान हो सकती है ? प्रोफ़ेसर रोबोक दुनिया के उन वैज्ञानिको मे से है जो ग्लोबल वार्मिंग से उत्पन्न होने वाले जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए मौसम के बदलाव के उपायों पर रिसर्च कर रहे हैं .
इसमे दो राय नही कि समुद्री जल को लवन मुक्त करने जैसे उपायों की तुलना मे क्लाउड सीडिंग सस्ता विकल्प है , लेकिन सिर्फ इसके दम पर सूखे से नही निपटा जा सकता . मौसम वैज्ञानिक सेलोवर का कहना है कि क्लाउड सीडिंग के बाद ये पता लगाना मुश्किल है कि उसके प्रभाव से कितनी अतिरिक्त वर्षा हुई , ऐसे प्रयोगों से होने वाली अतिरिक्त वर्षा को नापना बहुत कठिन है .
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