कैबिनेट फेरबदल के बाद मोदी के नए मंत्रियों के सामने हैं ये चुनौतियां
लोकसभा चुनाव होने में अब ज्यादा वक़्त नहीं है, ऐसे में मोदी सरकार के पास अपने किए वादों को पूरा करने के लिए ज्यादा दबाव है. बुलेट ट्रेन और नमामि गंगे जैसी योजनाएं अब भी अधर में हैं. इसे देखते हुए मोदी सरकार ने कैबिनेट में फेरबदल तो कर दिया है लेकिन सवाल ये है कि क्या कार्यकाल के एक तिहाई वक्त में सरकार इन वादों को पूरा कर पाएगी. मोदी कैबिनेट में कुछ नए लोगों को मौका मिला है तो कुछ को ज्यादा जिम्मेदारियां दी गई है.
पिछले तीन सालों में हर साल तकरीबन 155 रेल हादसे हुए हैं, जिनमें करीब 650 लोगों की जान चली गई है. पिछले दिनों उत्कल एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के कारण करीब 23 लोगों की मौत हो गई. ये घटनाएँ साफ़ तौर से रेलवे और रेल मंत्रालय की लापरवाही को दर्शाती है. उत्कल एक्सप्रेस दुर्घटना के बाद रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने प्रधानमंत्री के समक्ष अपने इस्तीफे की पेशकश की थी. जिसे अब स्वीकार कर लिया गया है.अब ये जिम्मेदारी केन्द्र मेंऊर्जा मंत्री रहे पीयूष गोयल को दी गई है. गोयल के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी यात्रियों की सुरक्षा है. साथ ही बुलेट ट्रेन्स और स्टेशनों के आधुनिकरण पर जोर देना भी गोयल के लिए एक चुनौती है.
सुरेश प्रभु को अब वाणिज्य मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है. सुरेश प्रभु के ऊपर अब देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है. नोटबंदी के बाद तेजी से गिरी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना प्रभु के लिए बड़ी चुनौती होगी. ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रभु चार्टेड एकाउंटेंट भी रहे हैं तो ऐसे में प्रभु का अनुभव मंत्रालय के काम आ सकता है.
उर्जा मंत्रालय को संभाल रहे पियूष गोयल की जिम्मेदारी अब बिहार के आरा से सांसद आर के सिंह को दी गई है. सिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्यों में पॉवर सप्लाई करने वाली कंपनियों की स्थिती में सुधार करना है. इसके अलावा 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले उन गावों का विद्धुतीकरण करना है जिनमें अब तक बिजली की सप्लाई नहीं है. रिकार्ड्स के मुताबिक देश के 34 थर्मल प्लांट्स पर कुल 1.77 लाख करोड़ का कर्ज है. इसकी भरपाई के लिए भी मंत्रालय को काफी मशक्क्त करनी है. मंत्रालय का कार्यभार संभालते वक़्त सिंह ने कहा कि कि पीयूष के कामकाज करने के तरीके से मंत्रालय को संभालने में उन्हें काफी मदद मिलेगी.लेकिन देखना ये होगा की गोयल के अधूरे कामों को आर के सिंह किस रणनीति से पूरा करते हैं.
स्मार्ट सिटी योजना मोदी सरकार के अहम योजनाओं में से एक है लेकिन शहरों की सूची के अलावा देश को स्मार्ट सिटी के नाम पर अब तक कुछ नहीं मिला है. 2014 में चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह जिम्मेदारी पार्टी के संकट-मोचन वेंकैया नायडू को दी थी. उनके उप-राष्ट्रपति बनने के बाद यह जिम्मेदारी अब1974 बैच के आइएएस रहे हरदीप सिंह पुरी को दे दी गई है. पुरी पर इसके अलावा स्वक्ष भारत मिशन और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में सुधार लाने की भी जिम्मेदारी है.
अपने 3 साल के कार्यकाल में मोदी सरकार ने कुछ ख़ास उपलब्धियां नहीं बटोरी है. कैबिनेट में फेरबदल करने के बाद भी अगर मोदी सरकार अपने किये हुए वादों को पूरा करने में विफल होती है तो 2019 में होने वाली लोकसभा चुनाव में बीजेपी को काफी मशक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.