ऑनलाइन मार्केटिंग में प्रवेश करता पतंजलि आयुर्वेद
पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि भारत में स्वदेशी का नारा लिया एक ब्रेंड बहुत ही तेज़ी से बाज़ार में छाया है। वहीं अगर इस ब्रेंड के ग्रोथ रेट की बात करें तो इसने पिछले कुछ सालों में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। पतंजलि कंपनी की शुरूआत हरिद्वार में साल 2006 में योग गुरू स्वामी रामदेव और उनके साथी बालकृष्ण द्वारा की गई थी। पिछले कुछ वर्षों वाले भारतीय बाज़ार के सबसे लोकप्रिय ब्रेंड को शुरू करने के पीछे मकसद यह था कि लोगों तक मिलावटी सामान न पहुँचे और वह स्वस्थ रहे, इसी मकसद को देखते हुए स्वामी रामदेव ने भारतीय बाज़ार में उपलब्ध होते नकली प्रोडक्टस् को देखते हुए लोगों तक देश में बना शुद्ध सामान बेचने को लेकर अभियान भी चालाया और अपनी कंपनी का विस्तार भी किया। पिछले वर्ष पतंजलि का सालाना टर्नओवर 105 करोड़ रूपए से अधिक था। यह कंपनी भारत में दो लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रही हैं।
विदेशी कंपनीयों के वर्चस्व वाले भारत में पतंजलि जैसे ब्रेड के उतरने के बाद विदेशी कंपनीयों को खासा नुकसान हुआ है। आयुर्वेदिक क्षेत्र के अलावा पतंजलि ने बिस्कुट, नूडल, टूथपेस्ट, आटा, दाल, चावल, चीनी, कोल्डड्रिंक, तेल, साबुन, ब्यूटी क्रीम, ठंडाई, नमकीन, मिठाई, बादाम, काजू आदि जैसे खाद्य और सौंदर्य के प्रोडक्ट को लॉच किया है। पतंजलि का दावा है कि वह अपने ब्रेंड के सामान को दूसरों के मुकाबले कम कीमत पर बेचेंगे, जिसके बाद दूसरे ब्रेंड पर भी इसका असर पड़ा। स्वामी रामदेव ने किसी भी सेलेब्रिटी का विज्ञापन में इस्तेमाल करने से बचने की बात कही, वैसा वह कर रहे है। ऐसा करने के पीछे स्वामी रामदेव का तर्क था कि इससे प्रोडक्ट की लागत बढ़ जाती है। साथ ही स्वामी जी ने यह भी तर्क दिया था कि उनकी कंपनी लाभ करने के लिए नही है, उनकी कंपनी लोगों के लिए और उन्हें बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
आज की बात करें तो पतंजलि का सामान हर दुकान पर या इनके स्टोर पर उपलब्ध है। जिसके चलते लोगों तक इसके सामान की पहुँच और भी ज्यादा बढ़ी है, इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए स्वामी रामदेव का यह ब्रेंड अब ऑनलाइन भी मिलने लगेगा, जिसका फायदा यह है कि लोगों को इसके प्रोडक्ट अब घर बैठे मिल पाएंगे। हाल फिलहाल में पतंजलि की कीमत 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर जो भारतीय करेंसी के हिसाब से दस हज़ार करोड़ रूपए से ज्यादा है। आजकल पतंजलि के उत्पादों की मांग विदेशों में भी भारी संख्या में की जाने लगी है। पतंजलि ने अपने प्रोडक्ट के उत्पाद के लिए कई राज्यों में फैक्टरी और पार्क आदि बनाए है। जिससे वहां के लोगों को रोजगार मिला है और साथ ही इस संस्थान ने परोपकार के भी की काम किए है।
इस संस्थान के द्वारा लोगों को फिट और रोग मुक्त रखने के लिए योग की शिक्षा के साथ इसे हर घर तक पहुँचाने का काम किया है। वर्ष 2016 में इस संस्थान ने कपड़ो के बाज़ार में उतरने का एलान किया और भारतीय पारंपरिक कपड़ों के अलावा पश्चमि देशों के परिधान बनाने का भी एलान किया। पतंजलि के पूरे देश में करीब 50 से ज्यादा उत्पादन यूनिट्स है। जहां कई तरह के प्रोडक्टस् का उत्पादन होता है। स्वामी रामदेव द्वारा प्रेस वार्ता के दौरान कई बार कहा है कि पतंजलि से आया पॉफिट अच्छे कामों के लिए उपयोग किया जाता है। साथ ही उस पैसे का इस्तेमाल अनाथ बच्चों को शिक्षा देने और शहीद जवानों के बच्चों और परिवारों की मदद के लिए किया जाता है।
पतंजलि के संस्थापक आचार्य बालकृष्ण और स्वामी रामदेव का उद्देश्य है कि इस कंपनी को नॉट फॉर पॉफिट कंपनी बनने के साथ बताया कि वह किसानों से सीधा खाद्य खरीदेंगें और साथ ही अलग-अलग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे अमेज़न, फ्लिपकार्ट, पेटीएम मॉल, बिगबास्केट आदि पर अपने प्रोडक्ट उपलब्ध कराएंगे। इसके अलावा अपने लिए लक्ष्य भी बनाया की अगले 50 साल में पतंजलि दुनिया की नंबर एक कंपनी बन जाए। आपको बता दें, पतंजलि के ई-कॉमर्स पर उपलब्ध होने से इस संस्थान की पहुँच क्षेत्र में काफी बढ़ जाएगी। संस्था ने एक से दो हज़ार करोड़ रूपए के उत्पाद ऑनलाइन बेचने का लक्ष्य रखा है। पतंजलि फिलहाल शोयर बाज़ार में उपलब्ध नही है। इसके अलावा प्रेंस वार्ता में यह भी साफ किया, कि इनके उत्पादों की प्रॉडक्शन कपैसिटी के बारे में बताया, जो फिलहाल 30 हज़ार करोड़ रूपए है और आगे जाकर अगली साल तक इसे 50 हज़ार करोड़ रूपए करना है। इन सभी के अलावा गौर करने वाला सवाल यह है कि क्या पतंजलि सच में ही खुद को विश्व में इस स्तर तक ले जा पाएगा कि दुनिया की दूसकी कंपनीयां बौनी लगने लगेंगी ? और इस बात की क्या गारंटी है कि इनके उत्पादों में कभी भी कोई गड़बड़ सामने नही आएगी ? खैर जो भी हो लेकिन स्वामी रामदेव की कंपनी का भाजपा के शासनकाल के दौरान इतना विकसित होना कोई हैरान करने वाली बात नही है। परंतु सोचने का विषय उजागर तब होता है जब सत्ता बदल जाएगी, क्या तब पतंजलि पर जाँच टीमें बैठेंगी ? जैसा की 2011 में स्वामी रामदेव के आंदोलन के दौरान रात को पुलिस ने सोते हुए लोगों को खदेड़ दिया था और बाद में जब स्वामी रामदेव को भेष बदलकर अपनी जान बचानी पड़ी थी। उसके बाद उनके ट्रस्ट पर कई तरह की जांचे बैठा दी गई थी।