सहारनपुर के प्रियांक जो की एक मल्टीनेशनल कंपनी मे काम करते थे , उन्होंने अपने काम से अलग कुछ करने का सोचा और सहारनपुर मे ही बल्लूपुर चौक पर ‘’ प्रियांक द जेल ‘’ के नाम से एक रेस्तरां खोला . दुर्भाग्य से वो चल नही पाया और उसको बंद करना पड़ा .
लेकिन प्रियांक ने हार नही मानी और एक नये आईडिया के साथ उस रेस्तरां को दुबारा खोला . जिसे बिलकुल जेल जैसा लुक दिया गया है , इसमे बैरक बनी हुई है और बैरकों को नंबर दिए गए हैं . जेलर की यूनिफार्म पहन कर वेटर खाना परोस रहें हैं . वह भी सलाखों के पीछे से . अपने आप मे ये अनोखा रेस्टोरेंट दो महीने मे ही युवाओं का पसंदीदा रेस्तरां बन गया है .
आज उन्हें अपनी नौकरी छोड़ने का बिलकुल भी दुख नही है क्योंकि उनका रेस्टोरेंट उनकी उम्मीद से भी ज्यादा सफल हो गया है. आज का युवा नये नये आईडिया को पसंद करता है . हर चीज मे कुछ अलग देखना चाहता है . क्रिएविटी को अपनाना चाहता है , प्रियांक ने युवाओं की इसी रूचि को भांप कर ‘’ द जेल ‘’ को नई पहचान दी .
A retired engineer, who likes reading and writing with a view to understand life, Aafreen has always admired humanity, for inventing the concepts of religion and marriages to bring happiness and peace to humanity. She likes reading about religions and to find common denominators.