आत्महत्या करने वाले नही हैं अपराधी ?
Posted On January 30, 2025
0
183 Views
0 संसद के बीते सेशन मे आत्महत्या की कोशिश के मामले को अपराध की श्रेणी से हटाने के लिए बिल पास कर दिया . इसका नाम ‘’ मेंटल हेल्थ केयर बिल -2013 ‘’ है ,इसके तहत प्रावधान है कि , अगर कोई व्यक्ति आत्महत्या की कोशिश करता है , तो यह माना जाएगा की वो मानसिक तौर पर बीमार है . और ऐसे मे उसके खिलाफ आईपीएस की धरा 309 के तहत सजा नही होगी .
कानूनी जानकार बताते है कि इसको लेकर बहस काफी समय से चली आ रही थी ,संसद ने अब जाकर इस पर मोहर लगाईं है . वैसे तो आइपीएस की धरा 309 को हटाने के सन्दर्भ मे अदालत के फैसले आते रहे है . पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने 1994 मे राठीनाम केस दिए गए अपने फैसले मे धारा 309 को निरस्त कर दिया था . कोर्ट ने कहा था कि राइट टू लाइफ मे राइट टू डाई भी शामिल है . यानि जीने के अधिकार के साथ मरने का भी अधिकार शामिल है .
बाद मे सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञान कौर बनाम स्टेट ऑफ़ पंजाब के केस के वक़्त फैसले को पलट दिया और उसके बाद धरा 309 प्रभावी हो गई . वैसे लौ कमीशन ने अपनी 210 वीं रिपोर्ट मे 2008 मे धारा 309 के प्रावधान को ख़त्म करने की सिफारिश कर चुकी थी. आईपीसी की धारा 309 के तहत एक साल कैद का प्रावधान है .
आत्महत्या के प्रयास के मामले मे सजा का प्रावधान नही होना चाहिए था. वैसे भी देखा जाए तो उनकी जानकारी मे आईपीएस की धारा 309 मे शायद ही किसी को सजा हुई हो . मानवीय दृष्टिकोण से ऐसे मामलों को देखा जाता रहा है और अब कानूनी जामा पहनाया गया है . कोई भी व्यक्ति अपनी जिंदगी से जब अत्यंत ही दुखी होता है तो वह अंतिम कदम आत्महत्या का उठाता है .
अगर उसकी जान चली जाती है तो भी वह अपराधी है और जान बचने के बाद वह फिर से उसी परिस्थिति मे वापस आता है. जिस कारण वह जान देने की सोच रहा था और यह उसके लिए सजा की तरह है . ऐसी चीजों से उभरने मे उसे काफी वक़्त लगता है .ऐसे लोगों को मानसिक और मनोवैज्ञानिक तरीके से सपोर्ट करने की जरुरत है.