आज भी दर्शकों के दिलों पर छाप छोड़ रहे अमिताभ बच्चन
बॉलीवुड के शहंशाह कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन आज भी अपने अभिनय की अमिट छाप दर्शकों के दिलों पर पहले की तरह ही छोड़ रहे हैं। उन्हें फिल्म ‘‘पीकू’’ में एक सनकी पिता का किरदार निभाने के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया। बच्चन का यह चौथा राष्ट्रीय पुरस्कार है। इससे पहले 1990 में ‘‘अग्निपथ’’, 2005 में ‘‘ब्लैक’’ और 2009 में ‘‘पा’’ के लिए वे राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं। अमिताभ मानते हैं कि दर्शकों का प्यार ही उनकी असली प्रेरणा है।
अमिताभ इन दिनों निर्देशक सुजीत सरकार की फिल्म ‘‘पिंक’’ में काम कर रहे हैं जोकि एक थ्रिलर फिल्म है। फिल्म में अमिताभ बच्चन वकील की मुख्य भूमिका में नजर आएंगे। ‘‘पीकू’’ और अभी तक रिलीज का बाट जोह रही ‘‘शूबाईट’’ सहित दोनों की यह तीसरी फिल्म है। फिल्म का निर्देशन 2006 में अपनी फिल्म ‘‘अंतहीन’’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके बंगाली फिल्मकार अनिरूद्ध रॉय चौधरी कर रहे हैं। फिल्म के तीन मुख्य किरदारों में से एक तापसी पन्नू निभा रही हैं। तापसी इससे पहले ‘‘बेबी’’ में दिखी थीं। तापसी सुजीत के प्रोडक्शन की आगामी फिल्म ‘‘रनिंगशादी डॉट कॉम’’ में भी काम कर रही हैं।
अभी पिछले दिनों अमिताभ बच्चन को लेकर एक चर्चा रही कि,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महानायक का नाम अगले राष्ट्रपति के रूप में आगे रखने वाले हैं। हाल ही में भाजपा सांसद और अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने भी कहा था कि अमिताभ बच्चन को अगला राष्ट्रपति बनाया जाना चाहिए। इस चर्चा को समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव अमर सिंह ने छेड़ा था. इसलिए इस पर आगे कोई बयान नहीं आया लेकिन फिर भी जिस तरह से अमिताभ की मोदी के साथ नजदीकियां हैं उसे देखते हुए यदि प्रधानमंत्री उक्त प्रस्ताव रख दें तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। राजनीतिक रूप से भी भाजपा को यह प्रस्ताव अच्छा लगेगा क्योंकि कांग्रेस से अब बच्चन का छत्तीस का आंकड़ा है।
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का मानना है कि वह अभी भी ‘एंग्री यंग मैन’ के किरदार को बखूबी निभा सकते हैं। एंग्री यंग मैन के किरदारों ने ही उन्हें 70 के दशक में कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंचाया था। अमिताभ कहते हैं कि समय के साथ आपको बदलना होता है। कॉलेज के दिनों में आपका स्वभाव अलग होता है, बाद में अलग। ठीक वैसे ही आपके कैरियर में अलग-अलग दौर में तरह-तरह के चरित्र आते रहते हैं। लेकिन आप यह नहीं कह सकते कि अब मैं वह किरदार नहीं कर सकता। अगर किसी फिल्म में गुस्से को दिखाना है तो मैं फिर से एंग्री यंग मैन बन सकता हूं। ये पूरी तरह कहानी की मांग और निर्देशक के द्वारा किए गए चरित्र निर्माण पर निर्भर करता है।
अमिताभ ने अपने चालीस साल से ज्यादा के अभिनय के सफर में कई यादगार किरदार निभाए हैं। जैसे ‘विरूद्ध’ में अपने बेटे के लिए न्याय मांगते पिता, ‘ब्लैक’ में एक गूंगी-बहरी लड़की के शिक्षक, ‘चीनी कम’ में एक आत्ममोहित खानसामा, ‘नि:शब्द’ में अपने से कम उम्र की लड़की के प्रेमी और ‘पा’ में एक प्रोजेरिया के मरीज बच्चे का किरदार, सभी में उन्होंने दर्शकों के दिलों पर राज किया। बच्चन अपने आप को खुशकिस्मत मानते हैं कि,उन्हें उम्र के इस पड़ाव पर भी इतने प्रयोगवादी चरित्र अदा करने को मिल रहे हैं। वह कहते हैं कि 72 की उम्र में कोई भी रोमांटिक हीरो नहीं बन सकता। इस पड़ाव पर पहुंचने के बाद आप फिल्मों में चरित्रों के संबंध में खुद ब खुद एक अलग क्षेत्र में पहुंच जाते हैं। लेकिन मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि मुझे हर तरह के किरदार निभाने को मिल रहे हैं।
अमिताभ कहते हैं कि उन्हें आज भी काम बोझ की तरह नहीं लगता और हर सुबह वह खुद को तरोताजा महसूस करते हैं और फिल्म के सेट पर जाने को उत्साहित रहते हैं। अमिताभ कहते हैं कि आजकल जब कभी भी काम नहीं होता या छुट्टी होती है तो मैं बस यही सोचता हूं कि क्या किया जाए? मैं निर्णय ही नहीं कर पाता कि मैं परिवार के साथ समय बिताउं, खेलूं, पढ़ूं, टीवी देखूं या क्या करूं। कितनी फिल्मों की पटकथाएं भी होती हैं पढ़ने को। कभी-कभी इतना व्यस्त होना वरदान की तरह लगता है और मैं बहुत खुश हूं अपने काम से।