कोर्ट और अदालतें तो इंसानों के लिए बनी है यहाँ पशुओ का क्या काम ? पशुओ को इन्साफ की कैसे जरुरत पड गई ? क्या भैंस ने भी कोर्ट में अपना केस लड़ने की अपील की ? मामला बड़ा ही पेचीदा लगता है लेकिन ऐसा कुछ भी नही है , हुआ दरअसल कुछ यूँ कि, पशुपालक हीरा लाल गुर्जर की भैंस पिछले साल चोरी हो गई थी और उसने चोरी का शक अपने ही गाँव में रहने वाले नवल सिंह पर किया और पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज करा दी .
पुलिस ने नवल सिंह को गिरफ्तार भी कर लिया और भैंस को बरामद भी कर लिया, लेकिन भैंस के साथ उसका बच्चा [ पाड़ी ] भी चोरी हुआ था वो नही मिल सका .यह घटना राजस्थान के कोटा जिले के एक गाँव की है . बाद में नवल सिंह भैंस की चोरी से भी मुकर गया , अब ये मामला कोर्ट में है और कोर्ट ने हीरा लाल को भैंस के साथ कोर्ट में पेश होने को कहा है .दरअसल आरोपी नवल के वकील ने भैंस की पहचान के लिए कोर्ट में पेश होने को कहा . जिसे कोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया और कोर्ट ने भैंस को हाज़िर करने का फरमान भी सुना दिया .
हीरा लाल 5 किलोमीटर पैदल चल कर भैंस के साथ कोर्ट में पहुंचे , और कोर्ट पहुँच कर उन्होंने अपनी भैंस को कोर्ट परिसर में एक पेड़ के तने के साथ बांध दिया , लोग कोर्ट में भैंस को देखकर हैरान थे उनकी समझ में नही आ रहा था कि यहाँ भैंस का क्या काम ? अदालत में भैंस की पेशी सब लोगों के लिए आश्चर्य का विषय बन गई . कोर्ट में बहुत भीड़ थी, इस कारण भैंस असहज महसूस कर रही थी .
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