आइन्स्टीन की लव थ्योरी….
Posted On November 21, 2024
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2 ऐसा माना जाता है कि विज्ञान और दिल की दुनिया बिलकुल एक दूसरे के विपरीत होती है . बात सही भी है , जब हम किसी को चाहने लगते हैं तो वहां तर्कों की अहमियत कम हो जाती है . लेकिन अगर विज्ञान से प्यार हो तो बिना तर्क के एक भी थ्योरी समझ में नही आती है . विज्ञान हमे लगातार सवाल करना सिखाता है . अब प्यार हमे क्या सिखाता है, इस बात का जवाब तो हर किसी के पास अपना अलग – अलग ही होगा . वैसे वेलेंटाइन डे पर अपने प्यार का इजहार करने वाले लोग अभी से ये सोच चुके होंगे कि हमे उस दिन क्या और कैसे करना है ?
बहरहाल आप तो सिर्फ इतना ही जानिये कि प्यार के बारे में महान वैज्ञानिक आइन्स्टीन का क्या कहना है :
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एक दूसरे के प्यार में पड़ने के लिए गुरुत्वाकर्षण को जिम्मेदार नही ठहराया जा सकता .
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मुझे किसी को जरूर प्यार करना चाहिए , अगर मै ऐसा नही करूंगा तो यह मेरे होने पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह होगा .
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तुम जब भी मेरे साथ नही होते, तो मुझे ऐसा लगता है कि मै बिलकुल अधूरा / अधूरी हूँ .
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मै तुम्हारे बगैर कभी जीने लायक हो पाऊंगा या नही यह मै बता नही सकता , तुम ही मेरी सब कुछ हो , तुम्हारे बिना मेरे अन्दर जरा सा भी आत्मविश्वास नही रहता है . न किसी काम को करने की इच्छा होती है और न ही जिंदगी जीना ही अच्छा लगता है .
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किसी जलते हुए स्टोव के ऊपर अपना हाथ एक मिनट के लिए भी रखना हो तो ऐसा लगने लगेगा की घंटों बीत गए . वहीँ किसी पसंद के साथी के साथ घंटों बैठने के बाद भी यही लगता है, अभी तो एक मिनट ही हुआ है .यही सापेक्षता [ रिलेटिविटी ] है .