अजीबो गरीब फैसलों से बिगड़ता पंचायतों का स्वरुप….
Posted On November 23, 2024
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1 पुराने वक़्त मे पंचों को पंच परमेश्वर के रूप मे जाना जाता था और उनके द्वारा सुनाये गये फैसलों को सर्वसम्मति से माना जाता था . क्योंकि पहले के समय में न तो इतनी अदालते और न ही कोई न्याय व्यवस्था थी . ग्रामीण लोग किसी भी समस्या के समाधान के लिए स्थानीय पंचायत का ही सहारा लेते थे . लेकिन आज परिस्थिति बहुत बदल चुकी है और आज पंचायत का स्वरूप भी पहले जैसा नही रहा . कभी – कभी पंचायत ऐसे फैसले सुना देती है जिन पर अमल करना मुश्किल होता है . ऐसे ही कुछ वाकये है :
जनवरी महीने मे महाराष्ट्र के परभनी जिले की एक जातीय पंचायत ने एक शख्स के सामने शर्त रखी कि अगर वो पंचायत के आठों पंचों को अपनी पत्नी के साथ हमबिस्तर होने की इजाज़त दे देता है, तो उसका 6 लाख का कर्ज माफ़ कर दिया जाएगा . पंचायत का फैसला मानने से इनकार करने पर उस जोड़े का हुक्का पानी बंद कर दिया गया . सूचना मिलने पर पुलिस , ‘’ महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समीति ‘’ और दूसरे गैर सरकारी संगठनों ने दखल अन्दाजी करके न केवल उस जोड़े का बहिष्कार ख़त्म कराया बल्कि पंचायत को भी भंग कर दिया .
पंचायत चाहे जाति ,कर्म , वर्ग के आधार पर हो , उनका मूल काम इन्साफ करना होता है पर अफ़सोस इस बात का है कि पंचायते ये सब भूलती जा रही हैं. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में नगला टोटा गाँव की पंचायत ने एक दलित नौजवान को फांसी की सजा सुना दी और उसे अंजाम भी दे दिया . उस नौजवान पर अपने गाँव की एक शादीशुदा औरत से नाजायज सम्बन्ध रखने का आरोप था . उस औरत के पति ने पंचायत बुलाकर उसकी शिकायत की . पंचायत ने बिना कुछ पूछे उसे पीटने और फिर फांसी पर लटकाने का हुक्म दे दिया .
राजस्थान के राजसमद जिले के थुरावड गाँव मे एक औरत के बाल काटने के बाद उसे बिना कपड़ों के गधे पर बिठाकर गाँव मे घुमाया गया . औरत पर रिश्ते के भतीजे की हत्या मे शामिल होने का शक था.
ग्रेटर नॉएडा के चौपाइया पट्टी गाँव की पंचायत है, जिसने 8 साल की बच्ची के साथ गलत काम करने वाले 15 साल के लड़के को सिर्फ 11 जूते मारने की सजा दे कर मामले को ख़त्म करने की कोशिश की.
उत्तर प्रदेश की भदोही जिले की एक पंचायत ने एक नई शादीशुदा औरत की शादी महज़ इसलिए तुडवा दी कि वह खाना बनाते समय आटा ज्यादा गूंध देती थी , जिससे अन्न की बर्बादी होती थी . पंचायत ने उस औरत को समझाने के बजाय , बिना उसका पक्ष जाने पति से अलग रहने का हुक्म जारी कर दिया . मजेदार बात तो यह है कि उस औरत का पति एम्. ए. का छात्र है और उसने खुद अपनी पत्नी को समझाने के बजाय स्थानीय पंचायत का सहारा लिया .
इलाहाबाद के कपसा गाँव मे एक विधवा के साथ गलत काम करने की कोशिश करने वाले शख्स को पंचायत ने भोज का दंड दे कर बरी कर दिया . यह शख्स गाँव के एक हज़ार लोगों को भोजन करा के अपने गंभीर अपराध से छुटकारा पा गया .
पश्चिम बंगाल के वीरभूमि इलाके की लाभपुर पंचायत के 13 लोगों ने दुसरे समुदाय के लड़के से प्यार करने वाली आदिवासी लड़की के साथ गैंगरेप किया . पंचायत ने पहले लड़की के घरवालों पर 50 हज़ार रूपये का जुर्माना ठोका . जब घरवालों ने असर्थता जताई तो पंचायत के फरमान पर लड़की के साथ गैंगरेप किया गया .