ऑर्गेनिक का अर्थ है प्राकृतिक ; अर्थात जो चीजें हमे प्राकृतिक रूप से प्राप्त होती हैं वो ऑर्गेनिक कहलाती हैं , ऑर्गेनिक चीजों मे मुख्यत मौसमी फल और सब्जियां आती हैं जैसे गर्मियों मे तरबूज , खरबूज , आम ,लीची ,टिंडा , तुरई ,लौकी आदि मसाले , दाल , चावल , आटा , आदि भी ऑर्गेनिक बाज़ार मे उपलब्ध है .ऑर्गेनिक पदार्थ आमतौर पर अन्य पदार्थों के मुकाबले थोड़े मंहगें होते हैं क्योंकि इसमे केमिकल युक्त खाद का प्रयोग नही होता है जिससे फसल की पैदावार कम होती है . इसको मीठा या रंगीन बनाने के लिए नकली रंगों और सक्रीन का भी इस्तेमाल नही होता .ऑर्गेनिक चीजों की खेती पारम्परिक रूप से होती है , इनका सर्टिफिकेशन भी मंहगा होता है और ऑर्गेनिक खेती करने के लिए सरकार की तरफ से किसी प्रकार की सब्सिडी भी नही मिलती है .
जिस तरह के पेस्टीसाइड और हानिकारक केमिकल आमतौर पर किसान डालते हैं कि उनकी पैदावार अच्छी हो लेकिन ऑर्गेनिक खेती मे किसी भी प्रकार का केमिकल और पेस्टीसाइड का इस्तेमाल नही होता . इससे फसल की पैदावार कम जरुर होती है लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभदायक होती है .ये प्राकृतिक रूप से उगाये गए फल और सब्जियां हमारी सेहत के लिए बहुत अच्छे होते है , विशेषज्ञों का मानना है कि कैंसर जैसी भयंकर बीमारी के मूल कारक रसायन युक्त खाद और पेस्टीसाइड ही है .
ऑर्गेनिक चीजों के कुछ बड़े ब्रांड इस प्रकार हैं …..
१. प्योर एंड श्योर
२ . फैब इंडिया
३. नवधान्या
४. डाउन टू अर्थ
५. ग्रीन सेन्स
ऑर्गेनिक चीजे महंगी होती हैं और हर जगह उपलब्ध भी नही होती हैं . अगर आप इनको खरीदना चाहते है तो गूगल सर्च इंजन पर जाकर इन नामों को डालें तो आपको इनकी दुकान की लोकेशन , मूल्य ,गुण ,प्रकार सब मिल जाएगा , वैसे अब तो ये ऑनलाइन भी मिलती हैं , किसी भी ऑनलाइन साइट पर ये डिस्काउंट के साथ उपलब्ध हैं .जिन चीजों पर नेचुरल या फ्रेश लिखा हो जरूरी नही कि वो ऑर्गेनिक हो . ये अपने आप मे प्रिजर्ववेटिव हो सकती हैं .डीडीटी जैसे पेस्टीसाइड वर्षों तक हवा और मिट्टी मे मौजूद रहते हैं . यह नर्वस सिस्टम पर असर डालता है और ब्रेस्ट कैंसर की वज़ह भी बन सकता है . इस पेस्टी साइड से जितना दूर रहें उतना अच्छा है ,ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ की कीमत आम खाद्य पदार्थ के मुकाबले 30% से 50% तक ज्यादा हो सकती है .याद रखे कि यदि आप ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ का रेगुलर इस्तेमाल करना चाहे तो आपके महीने का बजट 1000 से 1200 तक बढ़ सकता है ,लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से ये रकम कुछ भी नही है .
ऑर्गेनिक खेती के लिए नेचुरल खाद जैसे कम्पोस्ट , गोबर की खाद , घरेलु रसोई के कूड़े की खाद का प्रयोग किया जाता है . ऑर्गेनिक खेती के लिए जमीन को 2 साल के लिए ऐसे ही छोड़ दिया जाता है ताकि जमीन अच्छी पैदावार के लिए तैयार हो सके .ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ मे पोषक तत्व की मात्रा भरपूर होती है . इसमे कैल्शियम , मग्निशियम ,फास्फोरस जैसे लवण भी पाए जाते है जो शरीर के विकास लिए बहुत अच्छे होते हैं .
भारत मे अभी ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल अभिजात्य वर्ग मे देखने को मिलता है , धीरे धीरे मध्यमवर्गीय शिक्षित परिवार भी इसको अपनाने लगे हैं क्योंकि ऑर्गेनिक चीजें सेहत के लिए बहुत अच्छी होती हैं और शरीर पर इनका कोई दुष्प्रभाव देखने को नही मिलता .
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